SJS&PBS

स्थापना : 18 अगस्त, 2014


: मकसद :

हमारा मकसद साफ! सभी के साथ इंसाफ!!


: अवधारणा :


सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक जिम्मेदारी!

Social Justice, Secularism And Pay Back to Society-SJS&PBS


: सवाल और जवाब :


1-बहुसंख्यक देशवासियों की प्रगति में मूल सामाजिक व्यवधान : मनुवादी आतंकवाद!

2-बहुसंख्यक देशवासियों की प्रगति का संवैधानिक समाधान : समान प्रतिनिधित्व।


अर्थात्

समान प्रतिनिधित्व की युक्ति! मनुवादी आतंकवाद से मुक्ति!!


23.8.14

मीणाओं पर दूसरा आक्रमण कभी भी? बताओ मीणा-हिन्दू या आदिवासी?

मीणा जनजाति पर पहला आक्रमण हो चुका है : छद्म राजनैतिक और मनुवादी ताकतों द्वारा जन जातियों की सूची में शामिल मीणा जन जाति को तकनीकी रूप से मीना एवं मीणा में विभक्त करके इस मामले को न्यायपालिका के रहमोकरम पर छोड़ा जा चुका है। मामले को उलझाने वालों की नजर में मीणा जनजाति के लोग अभी भी इस समस्या की गम्भीरता को नहीं समझ सके हैं और बचाव की मुद्रा में नजर आ रहे हैं। यही कारण है कि तहसीलदार जैसा छोटा सा लोक सेवक मीना जन जाति के नाम से ये कहकर जाति प्रमाण-पत्र बनाने से इनकार कर रहा है कि आवेदक के नाम के साथ में जो उपनाम (Meena) है, वह जनजातियों की सूची में दर्शाये अनुसार (Mina) नहीं है। जबकि वही तहसीलदार अन्य पिछड़ा वर्ग या अनुसूचित जाति वर्ग के आवेदकों के नाम के साथ जुड़े बिलकुल उलट या भिन्न उपनाम पर ध्यान दिये बिना उनके जाति प्रमाण-पत्र बिना सवाल-जवाब के जारी कर रहे हैं। तहसीलदारों की मनमानी के खिलाफ मीणाओं के प्रतिनिधि, जन प्रतिनिधि, उच्च पदस्थ अधिकारी या सरकार में जन जातियों के प्रतिनिधि कानूनी कार्यवाही करने के बजाय तहसीलदारों के इस अवैधानिक कृत्य को अपनी मौन स्वीकृति प्रदान करते नजर आ रहे हैं।

मीणा जाति पर दूसरा आक्रमण कभी भी : सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के जरिये और अपने निजी स्रोतों से इस प्रकार के प्रमाण जुटाये जा रहे हैं, जिनसे यह बात प्रमाणित हो सके कि मीणा आदिवासी नहीं, बल्कि हिन्दू हैं। मनुवाद के मोहपाश में कैद मीणाओं को ये बात अटपटी लग सकती है। लेकिन ये सच है कि कम से कम पर्सनल मामलों में कानून की दृष्टि में आज तक मीणा हिन्दू जाति नहीं, बल्कि आदिवासी जन जाति है। जिसकी पुष्टि के लिये हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 2 (2) का अवलोकन किया जा सकता है, जिसके अनुसार सभी जन जातियों पर हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 के प्रावधान लागू नहीं होते हैं। मीणा भी इनमें शामिल हैं।

इसी पृष्ठभूमि में मीणा जन जाति को हिन्दू जाति घोषित कराने के लिये निम्न प्रकार के प्रमाण/सबूत एकत्रित किये जा रहे हैं :-
1. विवाह अनुष्ठान की वीडियोग्राफी : शिक्षा प्रसार और आर्थिक समृद्धि के साथ-साथ मीणाओं के विवाह अनुष्ठानों की भव्यता को यादों में संजोने के लिये वीडियो सूटिंग भी करवायी जाती है। सूटिंग स्थल से या मित्रता गांठकर हमारे शुभचिन्तक बनकर, हमारे मनुवादी-दुश्मन-मित्र वीडियो सूटिंग की लाइब्रेरी तैयार कर रहे हैं। जिनसे ये प्रमाणित किया जाना प्रस्तावित है कि मीणा जाति में भी विवाह हिन्दू विवाह अधिनियम में स्वीकृत/मान्य सप्दपति पद्धति के अनुसार ही सम्पन्न होते हैं। जिसमें ब्राह्नणों द्वारा वैदिक/हिन्दू धर्म के मंत्रोचार के जरिये ही विवाह सम्पन्न करवाया जाता है।

2. मीणा पंचायतों के निर्णय : मीणा पंचायतों में प्रारम्भ में सारे निर्णय मौखिक हुआ करते थे, लेकिन शिक्षा के प्रसार के साथ पंचायतों के निर्णय लिखित में होने लगें हैं और इन निर्णयों की भी चोरी हो रही है। क्योंकि जिन पंचायती निर्णयों में मीणा समाज के वैवाहिक विवादों पर फैसले सुनाये जाते हैं, उनमें हमारे पंच-पटेलों की ओर से कुछ इस प्रकार की या मिलती-जुलती भाषा का उपयोग किया जा रहा है-

‘‘श्री..........एवं श्रीमती..........का विवाह सनातन हिन्दू धर्म -के रीति रिवाजों से सम्पन्न हुआ था, जो..........वर्णित कारणों से सफल नहीं रहा। अत: इस विवाह को हिन्दू मीणा समाज की पंचायत द्वारा समाप्त घोषित किया जाता है।’’

ऐसे निर्णयों के जरिये ये प्रमाणित करना प्रस्तावित है कि मीणा जातीय पंचायतों में भी सनातन हिन्दू धर्म के प्रति निष्ठा और आस्था है, जिसे मीणा पंचायतें शुरू से ही अपने वैवाहिक निर्णयों में शुरू से आज तक मान्यता प्रदान करती रही हैं।

3. तलाक की अदालती कार्यवाही : हिन्दू विवाह अधिनियम के प्रावधान मीणा जनजाति सहित सभी आदिवासी जन जातियों पर लागू नहीं होते हैं। इस कारण सभी वैवाहिक मामले जन जातियों की परम्पराओं के अनुसार ही निर्णीत किये जाने को कानूनी मान्यता प्राप्त है। लेकिन इसके उपरान्त भी अन्य बातों के अलावा, मीणा जन जाति के कुछ सुशिक्षित और उच्च पदस्थ लोग ऐसे हालात पैदा कर देते हैं कि वैवाहिक मामले अदालतों के समक्ष प्रस्तुत हो रहे हैं। जिनमें से 99 फीसदी मामलों में दोनों पक्षकारों के वकील गैर-आदिवासी हिन्दू होते हैं। जो दोनों पक्षकारों के विवाह को हिन्दू रीति से सम्पन्न होना बतलाकर हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत अदालती निर्णय की मांग करते हैं। दोनों मीणा पक्षकारों की ओर से पेश तथ्यों के समर्थन में शपथ-पत्र भी पेश किये जाते हैं, जिनमें इस बात की शपथ भी होती है कि उनका विवाह हिन्दू रीति से सम्पन्न हुआ और वे हिन्दू विवाह अधिनियम से शासित होते हैं। बताने की जरूरत नहीं कि इन प्रकरणों की फाइलों की प्रतिलिपियॉं वकीलों से निजी तौर पर या अदालतों से सूचना अधिकार के जरिये प्राप्त करना कितना सरल है और इन फाइलों के आधार पर मीणा जन जाति को हिन्दू मीणा जाति प्रमाणित करना कितना आसान हो सकता है?

मेरी जानकारी के अनुसार उपरोक्त तीन प्रकार से आदिवासी मीणा जन जाति को, गैर-आदिवासी हिन्दू जाति सिद्ध करने के लिये अन्दरखाने उच्चस्तरीय प्रयास जारी हैं। वर्तमान राजस्थान और भारत सरकार के रहते ये प्रयास अंजाम तक पहुँचाना बड़ी बात नहीं होगी, विशेषकर तक जबकि हम खुद ही, खुद को फक्र से ‘आदिवासी’ नहीं, बल्कि आर्य पुत्र विष्णू के कथित ईश्‍वरीय अवतार मतस्य-मीनेष भगवान के वंशज ‘हिन्दू क्षत्रिय’ प्रमाणित करने में लगे हुए हैं। जिसके लिये मीणाओं द्वारा स्थान-स्थान पर मीनेष भगवान के भव्य मन्दिरों का निर्माण भी किया जा रहा है।

अथक परिश्रम और सूत्रों से जुटाये गये इन तथ्यों को प्रस्तुत करने में यद्यपि कुछ रिस्क है, फिर भी इस आलेख के मार्फत मैं मीणा जन जाति को वास्तविकता से अगाह करके अपने कर्त्तव्यों का निर्वाह कर रहा हूँ। सभी समाज बन्धुओं से विनम्र अनुरोध भी करता हूँ कि हमें समय रहते, बल्कि तत्काल चिन्तन करना चाहिये, जिससे हम आसन्न भयंकर संकट से निपट सकें। मित्रो ये बतायें कि ये मुद्दा कितना जरूरी है? और हमें क्या करना होगा, जिससे कि मनुवादियों द्वारा हमारे खिलाफ की जा रही साजिशों से हम अपने जनजातीय अस्तित्व को संरक्षित रख सकें।-जय आदिवासी।

लेखक : डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’-प्रमुख ‘हक रक्षक दल’, नेशलन चैयरमैन- जर्नलिस्ट्स, मीडिया एण्ड राईटर्स वैलफेयर एसोसिएशन, लखनऊ। राष्ट्रीय अध्यक्ष- भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान, दिल्ली। पूर्व राष्ट्रीय महासचिव-अजा एवं जनजतियों के संगठनों का अ. भा. परिसंघ, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष-अ.भा. भील-मीणा संघर्ष मोर्चा, मध्य प्रदेश। प्रकाशक एवं सम्पादक-प्रेसपालिका समाचार-पत्र। लेखन एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में एकाधिक राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय सम्मानों से विभूषित।-09875066111

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