SJS&PBS

स्थापना : 18 अगस्त, 2014


: मकसद :

हमारा मकसद साफ! सभी के साथ इंसाफ!!


: अवधारणा :


सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक जिम्मेदारी!

Social Justice, Secularism And Pay Back to Society-SJS&PBS


: सवाल और जवाब :


1-बहुसंख्यक देशवासियों की प्रगति में मूल सामाजिक व्यवधान : मनुवादी आतंकवाद!

2-बहुसंख्यक देशवासियों की प्रगति का संवैधानिक समाधान : समान प्रतिनिधित्व।


अर्थात्

समान प्रतिनिधित्व की युक्ति! मनुवादी आतंकवाद से मुक्ति!!


18.8.14

हक रक्षक दल (Haq Rakshak Dal-HRD) की स्थापना

श्री देवेन्द्र सिंह मीणा उर्फ देवराज जी द्वारा ‘मीणा आदिवासियों’ के साथ किये जा रहे अन्याय और विभेद से व्यथित होकर और इसके खिलाफ आवाज उठाने के लिये ‘मीणा आदिवासियों’ को एकजुट करने के लिये व्हाट्सएप और फैसबुक पर ‘पे-बैक टू सोसायटी’ नाम से ग्रुप और पेज बनाकर ‘मीणा समाज’ के लोगों को जोड़ा। जिसमें अनेक युवाओं ने उत्साह दिखाया। जिनकी संख्या लगातार बढती गयी। गैर-मीणा आदिवासी भी इसमें शामिल हुए और सभी ने अपने विचार और भावनाओं को खुलकर व्यक्त किया।

हक़ रक्षक दल प्रमुख चुने जाने पर श्री डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा ‘निरंकुश’ का दल से प्रमुख सदस्य श्री महेश मीणा द्वारा माल्यार्पण कर स्वागत किया गया  
इसके अगले कदम के रूप में 27 जुलाई, 2014 को दौसा, राजस्थान में मीणा छात्रावास में ग्रुप के सदस्यों की बैठक रखी गयी। जिसमें सभी सदस्य पहली बार एक दूसरे से रूबरू मिले और सभी ने अपने-अपने विचार तथा अनुभव साझा किये। सभी ने लोगों के बीच जाकर समाज को जागरूक करने पर बल दिया। साथ ही आगे भी ग्रुप की बैठकें करते रहने का निर्णय लिया गया।

इसी दौरान श्री देवराज जी की डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा ‘निरंकुश’ जी से मोबाइल और व्हाट्सएप के जरिये विभिन्न मुद्दों पर लागातार चर्चा होती रही। डॉ. निरंकुश जी, श्री देवराज जी के मार्फ़त ग्रुप को जरूरी मार्गदर्शन देते रहे और इसी दौरान 09 अगस्त, 2014 को ‘विश्‍व आदिवासी दिवस’ के मौके पर डॉ. निरंकुश जी एवं श्री देवराज जी ने सभी सदस्यों को प्रोत्साहित किया कि वे इस अवसर पर अपने विचार खुलकर व्यक्त करें। म. प्र. और राजस्थान के आदिवासियों ने देशभर में जगह-जगह इस अवसर पर सभा, बैठक, चर्चा आदि का आयोजन किया। जिन सबकी खबरों और व्यक्त भावनाओं को एकत्रित करके डॉ. निरंकुश जी ने ‘‘विश्‍व आदिवासी दिवस-मनुवादी-आर्य शुभचिन्तक नहीं, शोषक हैं!’’ शीर्षक से एक आलेख के रूप में सोशल मीडिया के अनेकानेक प्रतिष्ठित वैब-न्यूज-पोर्टल्स पर प्रकाशित करवाया। (देखें : नव भारत टाइम्स, आवाज-ए-हिन्द, स्वर्गविभा, प्रेसपालिका न्यूज चैनल) जिसको पढकर भेदभाव तथा नाइंसाफी से व्यथित आदिवासी और अन्य कमजोर वर्गों के लोगों में देशभर में उत्साहजनक प्रतिक्रिया देखने को मिली। जिससे ये बात स्पष्ट हो गयी कि मनुवादी व्यवस्था से सभी लोग परेशान हैं। डॉ. निरंकुश जी ने ‘पे-बैक टू सोसायटी’ के सदस्यों को जब से जुडे़ हैं, लगातार मार्गदर्शन देने का प्रयास किया है।

नयी दिल्ली से हक़ रक्षक दल के प्रमुख सदस्य श्री महेश मीणा उपस्थित जन समूह को सम्बोधित करते हुए मंच पर
बांये से दायें श्री देवेन्द्र सिंह मीणा उर्फ देवराज हक़ रक्षक दल के प्रमुख श्री डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा ‘निरंकुश’ और श्री डॉ. अनिल टाटू 
उपरोक्त छोटी सी किन्तु महत्वपूर्ण पृष्ठभूमि और श्री देवराज जी की दूरगामी सोच तथा आकांक्षा को आगे बढ़ाते हुए 18 अगस्त, 2014 को सारस रेस्टोरेंट, जयपुर में ‘पे-बैक टू सोसायटी’ ग्रुप की से एक बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें दूर-दूर से आकर मीणा आदिवासी वर्ग के लोगों द्वारा पूर्ण मनोयोग से भाग लिया गया।

बैठक का संचालन जोशीले युवा श्री हरिगोपाल मीणा द्वारा किया गया। श्री देवेन्द्र सिंह और श्री महेश मीणा के प्रस्ताव पर सर्व-सम्मति से बैठक की अध्यक्षता श्री डॉ. श्री पुरुषोत्तम लाल मीणा ‘निरंकुश’ जी को सौंपी गयी, जबकि श्री डॉ. अनिल टाटू और श्री ओम प्रकाश मीणा बैठक में विशेष आमन्त्रित अतिथि के रूप में शामिल हुए।

बैठक का संचालन, राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के जोशीले युवा सदस्य श्री हरिगोपाल मीणा द्वारा किया गया
श्री डॉ. श्री पुरुषोत्तम लाल मीणा ‘निरंकुश’ जी द्वारा बैठक में उपस्थित सभी सदस्यों को अपने-अपने परिचय के साथ-साथ खुलकर अपने-अपने विचार व्यक्त करने का अवसर प्रदान किया गया। सभी ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये। जिसका सार निम्न बिन्दुओं में निकला-
01-वर्तमान सामाजिक और प्रशासकीय व्यवस्था से हम सभी परेशान हैं और इससे बचाव के लिये हमें कुछ न कुछ कदम उठाना जरूरी है।
02-सदस्यों ने इस बात पर खेद व्यक्त किया कि आदिवासियों और दलितों के अलग-अलग तथा संयुक्त रूप से अनेक संगठन कार्य कर रहे हैं। जो सबके सब मीणा-मीना मुद्दे पर चुप हैं।
03-दलित-आदिवासी वर्गों के गॉंव से लेकर संसद तक सभी दलों में अनेक निर्वाचित जन प्रतिनिधि हैं, लेकिन मीणा और मीना के मुद्दे पर सबके सब आश्‍चर्यजनक रूप से मौन हैं, जो मीणा समाज के लिये गहरी चिन्ता और दु:ख का कारण है।
04-मीणा समाज के नेताओं की इस विषय पर चुप्पी पर भी सभी ने दु:ख और चिन्ता व्यक्त की।
05-यही नहीं उच्च स्तर पर पदस्थ अधिकारी भी इस मामले में कोई दिशा नहीं दे रहे हैं, बल्कि सभी बचाव की मुद्रा में हैं।
06-मीणा-मीना के प्रायोजित विवाद के चलते मीणा जाति के लोगों के जाति प्रमाण-पत्र नहीं बनाये जा रहे हैं। ऐसा लगता है मानो हमारा कोई धणी-धोरी नहीं है।
07-राजस्थान सरकार और भारत सरकार भी इस बारे में पूरी तरह से मौन हैं, जबकि सबको पता है कि मीणा और मीना एक ही जाति है। इस पर भी सभी ने दु:ख और चिन्ता व्यक्त की।
08-मीणा और मीना के मुद्दे पर सभी छोटे-बड़े राजनैतिक दलों और संगठनों की चुप्पी पर भी सभी ने आश्‍चर्य व्यक्त किया कि आखिर ये सब मीणा-मीना जाति को संरक्षण क्यों नहीं दे रहे हैं।
09-राजनैतिक दलों की मीणा जाति से नाराजगी के लिये सदस्यों ने गत विधानसभा चुनावों में डॉ. किरोड़ी लाल मीणा द्वारा मीणाओं को भाजपा और कॉंग्रेस के विरुद्ध एकजुट करने को भी एक कारण बताया, जबकि अन्य कुछ सदस्यों ने इससे असहमति जाहिर की

10-मीणाओं को दूसरे आदिवासियों और दलितों की ओर से इस मुद्दे पर समर्थन नहीं मिलने का मुद्दा भी सामने रखा गया।
राजस्थान के बारां जिले से हक़ रक्षक दल के प्रमुख सदस्य श्री अरविन्द मीणा 'आरव' उपस्थित जन समूह को सम्बोधित करते हुए
उपरोक्तानुसार उपस्थित सदस्यों के विचार सुनने के बाद आज की सभा की अध्यक्षता कर रहे डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा ‘निरंकुश’ जी ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि-

1-सबसे पहले हम अर्थात् मीणा समाज के लोगों को इस बात को समझना होगा कि अब हमारे लिए ईमानदारी से विचार करने का वो समय आ गया है, जब हम सोचें कि-
हक़ रक्षक दल के प्रमुख श्री डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा ‘निरंकुश’
(1) आखिर हम से दूसरे समाज या हमारे खुद के प्रतिनिधि या संगठन क्यों दूर हो रहे हैं?
(2) हमारी वर्तमान बदतर दशा के लिये कौनसे कारण जिम्मेदार हैं?
(3) जब तक हम ईमानदारी से अपनी आलोचना नहीं करेंगे, अपनी कमियों को नहीं समझेंगे तब तक हम आगे नहीं बढ सकते हैं।

(4) दूसरों पर उंगलियां उठाने से पहले, सबसे पहले हमें अपनी सामाजिक और हमारे व्यावहार की कमियों और बुराईयों के बारे में चर्चा करनी होगी। जिससे हम समझ सकें कि हम अलग-थलग क्यों पड़ते जा रहे हैं?
02-डॉ. निरंकुश जी ने कहा कि-हम शुरू से ही अर्थात आदिकाल से ही एक खुद्दार और स्वाभिमानी आदिवासी कौम के रूप में जाने जाते रहे हैं, जिनका अर्थात मीणाओं का मतस्य नामक जनपद पर अपना राज्य था। उस जनपद का भौगोलिक आकार मतस्य अर्थात् मछली के चित्र के आकार का था। इसलिये इसे मतस्य जनपद कहा जाता था और इसी कारण इसके ध्वज पर मछली का चिह्न अंकित होता था। आर्यों के दुराचारों के विरुद्ध सुदासराज नामक आर्य राजा के विरुद्ध अन्य अनेक राजाओं के साथ मिलकर मतस्य जनपद के राजा ने भी सामूहिक युद्ध में भाग लिया था। जो इस बात का पुख्ता प्रमाण है कि मतस्यवंशी वर्तमान मीणा जन जाति के वंशज आर्यों के नहीं, बल्कि मूल भारतीय आदिनिवासी (अबोरिजनल इण्डियन ट्राइब्स) वीर अनार्यों के वंशज हैं। ये अलग बात है कि मनुवादियों की ओर से मतस्य अर्थात मछली को ही विष्णु का मतस्य अवतार घोषित करके हमारे समाज को आर्यों का वंशज बनाने का दुष्चक्र चलाया जा रहा है, जिससे कि हमें क्षत्रिय आर्यों के वंशज घोषित करके अनुसूचित जन जातियों की सूची से बाहर निकलवाना आसान हो सके। दुखद आश्चर्य तो यह है कि भोले-भाले मीणा आदिवासी मनुवादियों के षड्यंत्रकारी चंगुल में फंसते जा रहे हैं। यही नहीं हमारे अनेक उच्च पदस्थ अधिकारी "विष्णु के मतस्य अवतार मीनेष के मंदिर बनवाकर" मनुवादियों के इस दुष्चक्र को बढ़ावा देने में योगदान दे रहे हैं। 


03-डॉ. निरंकुश जी ने कहा कि-दुर्भाग्य से कालान्तर में अनेक ऐतिहासिक, राजनैतिक, सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक कारणों और आर्यों के षड़यन्त्रों के चलते हमारे पूर्वज आर्यों की वैदिक संस्कृति तथा आर्य ब्राह्मणों द्वारा प्रतिपादित अमानवीय मनुवादी व्यवस्था के मोहपाश में फंसकर खुद को आर्य क्षत्रियों का वंशज मानने लग गये। जबकि कड़वा सच तो ये है कि भारत भूमि पर व्यापार करने आये ब्राह्मण आर्यों के साथ उनके सैनिकों के रूप में भारत में आये समस्त मूल आर्य क्षत्रियों का तो संसार के सबसे बड़े और निष्ठुर कातिल आर्य ब्राह्मण परशुराम द्वारा गिन-गिन कर इक्कीस बार विनाश (क़त्ल) कर दिया गया। ऐसे में भारतभूमि पर आर्य ब्राह्मण परशुराम के अनुसार कोई मूल आर्यवंशी क्षत्रिय तो शेष बचा ही नहीं। ऐसे में हमारे लोगों के समक्ष ये सवाल उठना चाहिए की मीणा कौनसे आर्य क्षत्रिय हुए? इसका जवाब मनुवादियों के पास भी नहीं है!

04-डॉ. निरंकुश जी ने कहा कि- मीणा समाज की एकता को तोड़ने के लिए और मीणा समाज के कद्दावर नेता डॉ. किरोड़ी की छवि को कलंकित करने के लिए कुछ स्वार्थी लोगों का कहना है कि डॉ. किरोड़ी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से मिलकर मीणाओं को गर्त में मिला दिया। ऐसे लोगों से मेरा सीधा सवाल है कि ऐसा कौनसा मीणा नेता है जिसने मीणाओं को गर्त में से उठाकर सर पर बिठा दिया। इसलिए यहाँ उपस्थित सभी भाइयों को इस बात को याद रखना होगा कि किसी के बहकावे में आकर हमें अपने मीणा समाज की एकता को तोडना नहीं, बल्कि जोड़ना है। समाज को मजबूत करना है। 

05-डॉ. निरंकुश जी ने आगे कहा कि डॉ. किरोड़ी लाल मीणा जी के विरुद्ध चलाये जा रहे निराधार और राजनैतिक षड्यंत्र के कारण, सम्पूर्ण मीणा समाज राजनैतिक रूप से पूरी तरह से अकेला सा पड़ता जा रहा है। कुछ लोगों द्वार जानबूझकर ये दुष्प्रचार किया जा रहा है कि डॉ. किरोड़ी लाल मीणा जी को समर्थन देने के कारण कॉंग्रेस और भाजपा मीणा जाति के विरुद्ध एकजुट होकर, हमको तहस-नहस करने के लिये आश्‍चर्यजनक रूप से एकजुट हो गये हैं, जबकि इस दुष्प्रचार के पीछे निश्चय ही निष्ठुर मनुवादी ताकतों का हाथ है।

06-डॉ. निरंकुश जी ने बतलाया कि-भाजपा की वर्तमान राजस्थान सरकार द्वारा आदेश जारी करके अजा एवं अजजा के विद्यार्थियों के लिए संचालित छात्रावासों में "सामाजिक सौहार्द" स्थापित करने के नाम पर चालीस फीसदी गैर अजा एवं अजजा वर्ग के विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जाना शुरू कर दिया गया है। जिससे अजा एवं अजजा वर्गों के चालीस फीसदी कम बच्चों को छात्रावास की सुविधा मिलेगी। यही नहीं छात्रावासों में अजा एवं अजजा वर्गों के विद्यार्थियों के प्रवेश के लिये भी कम से कम पचास फीसदी अंकों की अनिवार्यता कर दी गयी है। जिसके कारण हो सकता है कि इन वर्गों के साठ फीसदी विद्यार्थियों को भी प्रवेश नहीं मिल पाये। यह मनुवादी ताकतों का कमजोर आरक्षित वर्गों को समाप्त करने का खुला षड़यन्त्र है। डॉ. निरंकुश जी ने सरकार की नीयत पर सवाल खड़ा किया कि-यदि भाजपा की राज्य सरकार वास्तव में सामाजिक सौहार्द स्थापित करना चाहती है तो सफाईकर्मियों में आर्यों की भर्ती करना शुरू करे और मन्दिरों, मठों और धर्म पीठाधीश्‍वरों के पदों पर साढे तीन फीसदी ब्राह्मणों के सौ फीसदी कब्जे को समाप्त करे।

07-डॉ. निरंकुश जी ने कहा कि-कड़वा सच और आज की परिस्थितियों की जरूरत तो यह है कि हम मीणा समाज के लोगों को, आर्यों के मनुवादी आतंकी शिकंजे से हर हाल में मुक्त होना ही होगा। साथ ही अन्य समाज के लोगों को भी मनुवाद से मुक्त करना होगा।  यद्यपि यह सबसे मुश्किल कार्य है, लेकिन असम्भव नहीं है। इससे हम नब्बे फीसदी अनार्य भारतीयों की ताकत का हिस्सा बन सकेंगे। अत: हमें हर गॉंव-गॉंव और ढाणी-ढाणी में ये सन्देश पहुँचाना होगा कि ‘‘हम अनार्य हैं और हम आर्यों के मनुवादी षड़यन्त्र को समझ चुके हैं।’
यदि हम इनके शिकंजे से मुक्त होने को तैयार हैं तो न मात्र हम अपनी ऐतिहासिक खुद्दारी और स्वाभिमान को बचा पायेंगे, बल्कि इसके साथ-साथ हम हमारी अन्य आदिवासी जातियों, दलितों और पिछड़े वर्ग के साथ-साथ अल्पसंख्यकों में भी अपनी सामाजिक स्वीकार्यता को आसान बना सकेंगें।

08-डॉ. निरंकुश जी ने कहा कि-मनुवादियों की जातिवादी व्यवस्था के विभेद और शोषण के परिणामस्वरूप कमजोर दलित जातियों जैसे-भंगी, चमार, खटीक, कोली, धोबी इत्यादि और किसी क्षेत्र विशेष में कम जनसंख्या के कारण या आर्थिक कारणों से कमजोर या निर्बल पिछड़ी जातियों जैसे-जोगी, कुम्हार, माली, गुर्जर, खाती इत्यादि तथा मुसलमान या ईसाईयों के साथ भी हमें सम्मानजनक और सहयोगात्मक रिश्ते बनाने होंगे। हमें उनके सुख-दुख में, उनके साथ खड़ा होना होगा। तब ही हम समग्र अनार्य समाज में अपनी स्वीकार्यता मनवा पायेंगे और हमारे प्रति लोगों के मन में मनुवादियों द्वारा जो जहर भरा जा रहा है, उसे रोक पायेंगे।

09-डॉ. निरंकुश जी ने कहा कि-हमें भारतभर में निवास करने वाली सभी आदिवासी जन जातियों के बीच अपने व्यवहार और आचरण से यह प्रमाणित करना होगा कि हम अर्थात् मीणा जन जाति के लोग भी अन्य सभी जन जातियों की ही भांति अनार्यों के ही वंशज हैं और हम अन्य सभी आदिवासी जन जातियों के हितों के लिये काम करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे।

10-डॉ. निरंकुश जी ने कहा कि-हमें हमारे समाज के सभी स्तर के लोक सेवकों और सभी स्तर के जन प्रतिनिधियों को हर हाल में ये अहसास करवाना होगा कि उनको जो संवैधानिक या सरकारी पद और सम्मान मिला है, वह समाज में समानता स्थापित करने वाली भारतीय सविधान की मूल अवधारणा "सामाजिक न्याय और आरक्षण" का ही नतीजा है तथा सरकार और प्रशासन में समाज का प्रतिनिधित्व करते रहना उनकी संवैधानिक जिम्मेदारी है। जिसका उन्हें हर हाल में निर्वाह करना होगा। अन्यथा उन्हें आरक्षित वर्गों के गुस्से का सामना करने को तैयार रहना चाहिए।

11-डॉ. निरंकुश जी ने कहा कि-हमें बिना पूर्वाग्रह के आदिवासियों के साथ दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों सहित समस्त अनार्य भारतीयों के हितों को अपना हित समझकर कार्य करना होगा और षड़यन्त्रकारी मनुवादी आर्यों के प्रति भी हमें किसी प्रकार का दुर्भाव रखे बिना, उनसे सचेत रहकर कार्य करना होगा। तब ही हम जातिवाद को बढावा देने वाले मनुवादी आतंक से अपने वर्तमान और भविष्य को बचा सकेंगे। जिसके लिये हमें केवल मीणाओं का या आदिवासियों का या दलित-आदिवासियों का या दलित-आदिवासियों और पिछड़ों का संयुक्त संगठन बनाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इस प्रकार के अनेक संगठन तो पहले से ही मौजूद हैं। बल्कि हमें एक ऐसा अनूठा संगठन बनाना है जो मनुवादी-आर्यों के षड़यन्त्रों को उजागर करने के साथ-साथ सम्पूर्ण अनार्यों के हकों की रक्षा के लिये ईमानदारी से हर मोर्च पर काम कर सके। जिसके लिये हमें आगे आना होगा।

12-डॉ. निरंकुश जी ने बताया कि मीना-मीणा विवाद पूरी तरह से मनुवादियों द्वारा प्रायोजित विवाद है, जिसमें कॉंग्रेस और भाजपा सहित सभी दलों पर काबिज मनुवादियों और मीणा विरोधी ताकतों का हाथ है। यही कारण है कि राजस्थान की पिछली कॉंग्रेसी सरकार और वर्तमान भाजपा सरकार द्वारा इस वाजिब और सुस्पष्ट मामले को भी जानबूझकर उलझाया जा रहा है। सबसे दुखद तो ये बात है की न जाने क्यों हमारे समाज के संगठन भी इस मामले में बचाव की मुद्रा में दिख रहे हैं।

13-डॉ. निरंकुश जी ने बताया कि-मीना-मीणा विवाद वास्तव में कोर्ट में समाधान योग्य विवाद है ही नहीं, फिर भी इसे प्रशासनिक आधार पर कोर्ट में ले जाकर उलझाया जा रहा है, जिसमें हमारे कुछ बुद्धिजीवी लोग मीणाओं का पक्ष रखने हेतु बचाव की मुद्रा में खड़े हो गए हैं, जबकि ये मसला संवैधानिक है जिसे कोर्ट में नहीं, बल्कि विधायिका में निर्णीत होना है। क्योंकि ऐसे मसलों का समाधान कोर्ट नहीं कर सकता। इस सम्बन्ध में, मैं बहुत पहले से दो समाधान प्रस्तुत कर चुका हूँ। जो यहॉं पर भी बतलाना जरूरी समझता हूँ कि मनुवादी आर्यों द्वारा प्रायोजित इस विवाद के दो लोकतान्त्रिक तथा संवैधानिक समाधान हैं :-
(1) आदिवासियों के समस्त जन प्रतिनिधि संसद में निम्न प्रस्ताव पेश कर, पारित करावें-

‘‘जन जातियों की सूची में क्रम 9 पर ‘मीना’ (Mina) शीर्षक से सूचीबद्ध जन जाति विभिन्न क्षेत्रों में-मीणा/मीना (Mina/Meena), मेंणा/मेंना (Menna), मैणा/मैना  (Maina), मेना/मेणा (Mena), मतस्य (Matasy) आदि नामों से जानी जाती है।’’
या
 (2) मीणा जन जाति के सभी लोग शांतिपूर्ण तरीके से सड़कों पर आकर लोकतान्त्रिक जनान्दोलन के जरिये राजस्थान सरकार को उक्त प्रस्ताव को विधानसभा में पारित करके संसद के समक्ष विचारार्थ भिजवाने के लिये मजबूर करें। 
14-डॉ. निरंकुश जी ने उपरोक्त सभी बातों से अवगत करवाने के बाद सभी उपस्थित साथियों को साफ-साफ शब्दों में आगाह किया कि हम जो कार्य करना चाहते हैं, उसमें सीधे-सीधे हमारा टकराव ताकतवर मनुवादियों और मनुवादियों के मोहपाश तथा शिकंजे में कैद हमारे अपने ताकतवर लोगों से भी होना तय है। इसलिये इस दिशा में आगे बढ़ना है या नहीं इस बारे मेंं इसी स्तर पर सोचसमझकर सभी को निर्णय लेने की जरूरत है।

15-डॉ. निरंकुश जी ने सभी से स्पष्ट कहा कि यदि आप सब इस मनुवादी आतंकवाद की चुनौती को स्वीकार करने को तैयार हैं तो आगे बढें, अन्यथा इस बात को यहीं खतम करते हैं। सभी गम्भीरता से विचार करके निर्णय लें। ये कोई मजाक या खेल नहीं, बल्कि हमारे समक्ष बहुत बड़ी चुनौती है। जिसे स्वीकार करने का मतलब है-इंसाफ नहीं मिलने तक-सतत संघर्ष।

16-डॉ. निरंकुश जी के उक्त उद्बोधन के बाद सभी ने एक स्वर में आगे बढने की बात कही और उपस्थित सभी साथियों ने माना कि हालांकि मनुवादी विचारधारा के खिलाफ संघर्ष की शुरूआत सबसे पहले अपने ही घर से करनी होगी, लेकिन सबने कहा के हम सब इससे लड़ेंगे, क्योंकि अब हमारे अस्तित्व का सवाल है। जिसके लिये संघर्ष की दिशा में आगे बढने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं है।

17-प्रस्ताव पारित : सभा में उपस्थित जनसमूह द्वारा उपरोक्त निर्णय के बाद डॉ. निरंकुश जी ने सभी साथियों का आह्वान किया कि अब हमें एक ऐसे संगठन की स्थापना करनी होगी, जो सम्पूर्ण देश में मनुवादी आर्यों के आतंक के साये में डर-डर कर जीने को मजबूर समस्त अनार्यों का पूरी ताकत के साथ भारतीय संविधान के अनुसार प्रतिनिधित्व करे। इसके लिये सभी संगठन का नाम सुझायें। इस पर आपस में खूब चर्चा की गयी, अनेक नामों पर विचार करने के बाद डॉ. निरंकुश जी के सुझाव पर सभी ने एक स्वर में और सर्व-सम्मति से ‘‘हक रक्षक दल’’ (Haq Rakshak Dal-HRD) नाम से संगठन की विधिवत स्थापना करने और इस संगठन के गठन, संचालन, पंजीकरण कराने आदि सभी कार्यों के लिये डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा ‘निरंकुश’ जी को समस्त अधिकारों और कर्तव्यों के निर्वाह के लिए अधिकृत कर दिया। डॉ. निरंकुश जी ने इस जिम्मेदारी को स्वीकार करने से पूर्व एक बार फिर से सभी से पूछा कि क्या आप सभी मनुवादी आतंक से लड़ने को तैयार हैं? यदि वास्तव में इस मनुवादी आतंकवाद की चुनौती से लड़ने को तैयार हों तो ही मैं इस जिम्मेदारी को स्वीकार करूंगा, अन्यथा मेरी तथा सभी भाईयों की फजीहत करवाने में कोई अर्थ नहीं है। इस पर सभी ने फिर से एक स्वर में हॉं कहकर डॉ. निरंकुश जी के विचारों को समर्थन दिया। इस पर दिल्ली से पधारे वरिष्ठ साथी श्री महेश मीणा जी ने डॉ. निरंकुश जी का ‘‘हक रक्षक दल’’ (Haq Rakshak Dal-HRD) के प्रमुख के रूप में माल्यार्पण कर सम्मान किया। जिस पर सभी सदस्यों ने करतलध्वनि में समर्थन कर खुशी का इजहार किया। इस पर डॉ. निरंकुश जी ने कहा कि संगठन के संचालन के लिए कुछ सक्रिय साथियों को संगठन की जिम्मेदारियां बांटनी होंगी। जिसके लिए कुछ पदाधिकारी नियुक्त करने पर चर्चा के बाद इसके लिए भी डॉ. निरंकुश जी को ही अपने विवेकानुसार निर्णय लेने के लिए अधिकृत कर दिया गया। डॉ. निरंकुश जी ने इस सभी के लिए सभी का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए आभार व्यक्त किया और सभी के सतत सक्रिय सहयोग की उम्मीद व्यक्त की। 

18-विशेष आमन्त्रित अतिथि श्री डॉ. अनिल टाटू और श्री ओम प्रकाश मीणा जी का भी माल्यार्पण कर स्वागत किया गया। डॉ. निरंकुश जी के अलावा श्री देवेन्द्र सिंह मीणा ‘देवराज’, श्री महेश मीणा, श्री हरिगोपाल मीणा, श्री राजेन्द्र कुमार मीणा, श्री अरविन्द कुमार मीणा ‘आरव’, श्री डॉ. अनिल टाटू, श्री आशीष पंवार, श्री अमृत लाल मीणा, श्री कमल मीणा, श्री जय सिंह मीणा, श्री चन्द्र मोहन मीणा, आदि ने भी सभा को सम्बोधित किया।

19-सभा के अंत में ‘‘हक रक्षक दल’’ (Haq Rakshak Dal-HRD) प्रमुख डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा 'निरंकुश' जी ने सभी साथियों को ‘‘हक रक्षक दल’’ की स्थापना करने और एक सफल गुणात्मक कार्यक्रम आयोजन करने की बधाई देते हुए सभा का विसर्जन किया।

20-उक्त विवरण को पढ़ने के बाद ‘‘हक रक्षक दल’’ के सदस्य कृपया नीचे कमेंट्स बॉक्स में अपनी टिप्पणी जरूर लिखें और साथ ही अपना ई मेल (E-mail ID) भी जरूर लिखे और, या ब्लॉग पर सबसे ऊपर ई मेल रजिस्टर करें।   

2 comments:

  1. हक रक्षक दल (hrd) बनाने और हमारा मार्ग दर्शन करने के लिये बहुत बहुत हार्दिक आभार ।

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    1. श्री राम किशोर मरमट जी आपका धन्यवाद। कृपया अन्य सदस्यों को भी ब्लॉग पढ़ने और टिप्पणी करने के लिए प्रेरित करें। साथ ही कोई जरूरी सुझाव हो तो बेझिझक प्रस्तुत करें।

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