SJS&PBS

स्थापना : 18 अगस्त, 2014


: मकसद :

हमारा मकसद साफ! सभी के साथ इंसाफ!!


: अवधारणा :


सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक जिम्मेदारी!

Social Justice, Secularism And Pay Back to Society-SJS&PBS


: सवाल और जवाब :


1-बहुसंख्यक देशवासियों की प्रगति में मूल सामाजिक व्यवधान : मनुवादी आतंकवाद!

2-बहुसंख्यक देशवासियों की प्रगति का संवैधानिक समाधान : समान प्रतिनिधित्व।


अर्थात्

समान प्रतिनिधित्व की युक्ति! मनुवादी आतंकवाद से मुक्ति!!


28.10.14

मीणा-मीना मुद्दा समाधान हेतु सार्वजनिक अपील

मीणा-मीना मुद्दा समाधान हेतु सार्वजनिक अपील

अगस्त, 2014 के प्रारम्भ तक अधिकतर मीणा राजनेताओं और क्लास वन अफसरों की नजरों में मीणा-मीना (Meena-Mina) मुद्दा चर्चा करने लायक तक नहीं था। आम मीणाओं को इस मुद्दे के बारे में कुछ पता ही नहीं था। 18 अगस्त, 14 को हक रक्षक दल का जन्म हुआ। जिसके रक्षकों ने दिन-रात एक करके प्रिटं एवं सोशल मीडिया सहित गॉंव-गॉंव में हस्ताक्षर अभियान के जरिये जागरण अभियान चलाया और तस्वीर बदल दी। हक रक्षक दल ने सरकार, समाज और मीडिया के सामने तथ्यपरक जानकारी पेश कर दी कि मीणा-मीना मुद्दे के जन्मदाता मनुवादी, पूंजीपति और काले अंग्रेज हैं। जिन्होंने न्यायपालिका के मार्फत मीणा जाति के आरक्षण को समाप्त करने का षड़यंत्र रचा, जिसमें वे सफल हो चुके हैं। 30 सितम्बर को आदेश जारी करके सरकार ने मीणा (Meena) जाति का आरक्षण समाप्त कर दिया। दोनों प्रमुख दल भी इस मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं। दुष्परिणाम यह हुआ कि आज अधिकतर तहसीलदार मीना (Mina) जाति का जाति प्रमाण-पत्र भी नहीं बन रहे हैं। नौकरी और उच्च शिक्षा की आस लगाये बैठी युवा मीणा प्रतिभाएँ परेशान, निराश, हताश और आक्रोशित हैं।

1950 से अभी तक का अनुभव प्रमाणित करता है कि न्यायपालिका ने हमेशा ही आरक्षण को कमजोर किया है। अत: इस मुद्दे का कोर्ट के जरिये समाधान मुश्किल है। ऐसे में गोत्र, क्षेत्र और राजनैतिक भेद को भुलाकर सभी मीणाओं को एकजुट होकर षड़यंत्रकारी मनुवादियों और सरकार की मनमानी के खिलाफ एक जुट होना होगा। जिससे मीणा और मीना (Meena & Mina) नाम से संशोधित अधिसूचना जारी करने के लिये सरकार को मजबूर किया जा सके। मगर अधिकतर सामाजिक कार्यकर्ता, मीणा राजनेता और उच्च अधिकारी मनुवादियों और सरकार के खिलाफ खुलकर बोलने तक को तैयार नहींं। हक रक्षक दल का भी विरोध किया जा रहा है। जिसके निम्न कारण हैं :-

1. अधिकतर वर्तमान/पूर्व मीणा सांसदों, विधायकों और राजनेताओं का मानना है कि मीणा-मीना मुद्दे के षड़यंत्रकारी मनुवादियों तथा दोनों बडे़ दलों की कुनीतियों का विरोध करने के बाद उनका मनुवादी वोट बैंक और राजनैतिक भविष्य समाप्त हो सकता है। इसलिये वे चुप हैं।

2. अनेक प्रभावशाली उच्चाधिकारी और समाज सेवक भी सांसद-विधायक बनने के सपने देखते रहते हैं। इसलिये उन्हें भी यही डर है कि मनुवादियों का विरोध करने के बाद किसी भी बड़े दल का टिकिट और वोट नहीं मिलने वाला ऐसे में वे भी खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं।

3. हक रक्षक दल मीणा-मीना मुद्दे सहित सभी आरक्षित वर्गों के पक्ष में राष्ट्रीय स्तर पर संघर्ष कर रहा है। इस कारण हक रक्षक दल के बढते प्रभाव और बढती लोकप्रियता से राजनेताओं सहित भावी सांसदों और भावी विधायकों की जमीन खिसक रही है। अत: सब मिलकर हक रक्षक दल का विरोध करने और इसे कमजोर करने में जुट गये हैं। हक रक्षक दल के कार्यकर्ताओं को धमकियॉं तक दी जा रही हैं।

अत: मीणा-मीना मुद्दे का संवैधानिक समाधान चाहने वाले सभी लोगों से निवेदन है कि या तो सभी गैर-राजनैतिक लोगों को संयुक्त संघर्ष करने के लिये तैयार करें। हक रक्षक दल साथ देगा। अन्यथा हक रक्षक दल को खुलकर सहयोग, समर्थन और संरक्षण प्रदान करें।

--डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’, प्रमुख-हक रक्षक दल (अनार्यों के हक की आवाज) और हक रक्षक दल के समस्त रक्षकगण।-28.10.2014 (9875066111)--

No comments:

Post a Comment