SJS&PBS

स्थापना : 18 अगस्त, 2014


: मकसद :

हमारा मकसद साफ! सभी के साथ इंसाफ!!


: अवधारणा :


सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक जिम्मेदारी!

Social Justice, Secularism And Pay Back to Society-SJS&PBS


: सवाल और जवाब :


1-बहुसंख्यक देशवासियों की प्रगति में मूल सामाजिक व्यवधान : मनुवादी आतंकवाद!

2-बहुसंख्यक देशवासियों की प्रगति का संवैधानिक समाधान : समान प्रतिनिधित्व।


अर्थात्

समान प्रतिनिधित्व की युक्ति! मनुवादी आतंकवाद से मुक्ति!!


22.2.15

‘मीना जनजाति’ के जाति प्रमाण-पत्र बनाने में तहसीलदारों द्वारा की जा रही मनमानी और उत्पीड़न पर अंकुश लगाया जावे।
























मुख्यमंत्री, राजस्थान को हक रक्षक दल की और से पत्र लिखकर मांग की गयी कि -‘मीना जनजाति’ के जाति प्रमाण-पत्र बनाने में तहसीलदारों द्वारा की जा रही मनमानी और उत्पीड़न पर अंकुश लगाया जावे।पत्रांक : HRD/2015-1                  दिनांक : 22.02.2015


प्रतिष्ठा में,
मुख्यमंत्री
राजस्थान सरकार, जयपुर।
विषय : केन्द्र सरकार के प्रारूप में ‘मीना जनजाति’ के जाति प्रमाण-पत्र बनाने में तहसीलदारों द्वारा की जा रही मनमानी और आवेदकों के उत्पीड़न पर अंकुश लगाने के सम्बन्ध में।

उपरोक्त विषय में ध्यान आकृष्ट कर अवगत करवाया जाता है कि-

1. ‘मीना जनजाति’ के जाति प्रमाण-पत्र जारी करने के सम्बन्ध में राजस्थान सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की ओर से दिनांक : 30.09.2014 एवं दिनांक : 23.12.2014 को राजस्थान के समस्त जिला कलेक्टर्स के नाम से जारी किये गये राजस्थान सरकार के आदेशों की आड़ में अनेक तहसीलदार इन आदेशों की मनमानी व्याख्या करते हुए केन्द्र सरकार के प्रारूप में ‘मीना जनजाति’ के  आवदकों को जाति प्रमाण-पत्र जारी नहीं कर रहे हैं और ‘मीना जनजाति’ के आवेदकों के साथ दुर्व्यवहार करते हुए उनका उत्पीड़न और अपमान भी कर रहे हैं। ऐसे तहसीलदारों का कहना है कि जब तक मामला न्यायपालिका के अधीन विचाराधीन है, तब तक ‘मीना जनजाति’ के आवेदकों के जाति प्रमाण-पत्र जारी नहीं किये जायेंगे।

2. उपरोक्त कारणों से ‘मीना जनजाति’ के आवेदकों को सरकारी सेवाओं में नियुक्ति/शिक्षण संस्थानों में प्रवेश इत्यादि कार्यों में केन्द्र सरकार के प्रारूप में ‘मीना जनजाति’ के प्रमाण-पत्र के न बनने से भयंकर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ‘मीना जनजाति’ के अनेक प्रत्याशियों को केन्द्र सरकार के प्रारूप में ‘मीना जनजाति’ के जाति प्रमाण-पत्र नहीं मिल पाने के कारण उनको अपने संवैधानिक मूल अधिकारों से वंचित होना पड़ रहा है। जिसके लिये सम्बन्धित तहसीलदार और अन्तत: राजस्थान सरकार जिम्मेदार है।

3. उक्त बिन्दु 1 एवं 2 में वर्णित कारणों और हालातों के चलते ‘मीना जनजाति’ के युवा वर्ग, विद्यार्थी वर्ग और आम लोगों में भी राजस्थान सरकार के प्रशासन और राजस्थान सरकार के प्रति लगातार असन्तोष और गुस्सा बढता जा रहा है, जो किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में चिन्ता का कारण होना चाहिये।

आग्रह एवं अपेक्षा

अत: उपरोक्तानुसार उत्पन्न अप्रिय और असंवैधानिक हालातों से अवगत करवाते हुए आप से आग्रह है कि ‘मीना जनजाति’ के सम्बन्ध में सभी समानार्थी शब्दों के साथ केन्द्र सरकार से संशोधित अधिसूचना जारी होने तक ‘मीना जनजाति’ के आवेदकों को आवश्यकतानुसार राज्य एवं केन्द्र सरकार के प्रारूप में जाति प्रमाण-पत्र जारी करने में तहसीलदारों की असंवैधानिक मनमानी पर पाबन्दी लगायी जावे और उनको सख्त निर्देश जारी किये जावें कि ‘मीना जनजाति’ के जाति प्रमाण-पत्र हेतु आवेदन करने वाले आवेदकों के साथ सम्मानजनक व्यवहार करते हुए तत्काल जाति प्रमाण-पत्र जारी किये जावें।

सधन्यवाद। भवदीय

   (डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’)
     राष्ट्रीय प्रमुख-हक रक्षक दल



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