राजस्थान विधानसभा में आर्य विधायक घनश्याम तिवारी ने 12 मार्च, 15 को मांग की है कि सवर्ण (आर्य) वर्ग को आर्थिक आधार पर 14 फीसदी आरक्षण प्रदान करने के विधानसभा के पिछले प्रस्ताव को लागू करवाने के लिए तकनीकी अड़चनों को दूर किया जाए।
उल्लेखनीय है कि भाजपा की पिछली सरकार के दौरान राजस्थान विधानसभा ने गरीब सवर्णों को 14 फीसदी आरक्षण प्रदान करने का एक प्रस्ताव पारित किया गया था, जिसे न्यायपालिका द्वारा असंवैधानिक करार देकर स्थगित कर दिया था।
हक रक्षक दल सामाजिक संगठन ऐसे किसी भी असंवैधानिक प्रस्ताव का कड़ा विरोध करता है।
क्योंकि-
1-भारत में सवर्णों (आर्यों) की कुल आबादी करीब 12 फीसदी है, जिसमें से बमुश्किल कोई 01 फीसदी ग़रीब होंगे।
2-कुल 12 फीसदी आबादी वाले आर्य अपनी 01 फीसदी आबादी के कथित संरक्षण के बहाने 14 फीसदी संवैधानिक पदों पर अ-संवैधानिक कब्जा पाने का षड्यंत्र रच रहे हैं।
3-संविधान की सामाजिक न्याय की अवधारणा के अनुसार आरक्षण उन वर्गों को दिया जाता है, जिनका सत्ता और प्रशासन में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं हो, जबकि भारत में तो सर्वत्र केवल सवर्णों का ही सम्पूर्ण कब्जा है। सवर्णों ने तो अन्य वर्गों के हकों पर भी कब्जा जमाया हुआ है।
4-अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को उनकी कुल आबादी के बराबर आरक्षण देने के प्रस्ताव/सवाल पर सुप्रीम कोर्ट ये कहकर रोक लगा देता है कि ओबीसी की जनसंख्या के वास्तविक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।
5-इसी प्रकार अजा एवं अजजा वर्गों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण प्रदान किये जाने की संवैधानिक मांग/सवाल पर इस कारण ध्यान नहीं दिया जाता, क्योंकि सत्ता पर काबिज आर्यों का कहना है कि न्यायपालिका द्वारा पचास फीसदी से अधिक आरक्षण प्रदान करने पर रोक है।
6-ऐसे में सबसे पहला सवाल तो ये है कि सरकार द्वार भारत की जनसंख्या की जातिगत आधार पर जनगणना करवाकर जनसंख्या के आंकड़े सार्वजनिक क्यों नहीं किये जाते?
वास्तविकता यह है कि सवर्ण गरीबों के नाम पर 12 फीसदी आर्य 14 फीसदी आरक्षण पाने का असंवैधानिक और घिनौना षड्यंत्र रच रहे हैं। जिसकी हक रक्षक दल सामाजिक संगठन कड़े शब्दों में निंदा और भर्त्सना करता है।
हमारी मांग है की सभी आनार्यों और आरक्षित वर्गों को एकजुट होकर आर्यों की ऎसी किसी भी असंवैधानिक मांग की साजिश का कडा विरोध करना चाहिए।
सबसे दुखद आश्चर्य तो यह है कि आर्यों के इस असंवैधानिक षड्यंत्र के विरूद्ध अनार्य-आरक्षित वर्गों के जन प्रतिनिधि मौन साधे बैठे हैं?
कडवी हकीकत यह है कि कुल 12 फीसदी आर्यों की 01 फीसदी कथित गरीब आबादी को 14 फीसदी आरक्षण देने का षड्यंत्र शुरू हो चुका है! जिसके माध्यम से आर्य 14 फीसदी संवैधानिक पदों पर अपना कब्जा जमाना चाहते हैं।
अत: यदि हमारे जन प्रतिनिधियों की भांति हम भी मौन साधे बैठे रहे तो आर्यों के इस षड्यंत्र को रोकना अ-संभव होगा। विशेषकर तब जबकि न्यायपालिका पर आर्यों का सम्पूर्ण कब्जा है!
-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा, राष्ट्रीय प्रमुख-हक रक्षक दल (HRD), 14.03.2015
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