SJS&PBS

स्थापना : 18 अगस्त, 2014


: मकसद :

हमारा मकसद साफ! सभी के साथ इंसाफ!!


: अवधारणा :


सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक जिम्मेदारी!

Social Justice, Secularism And Pay Back to Society-SJS&PBS


: सवाल और जवाब :


1-बहुसंख्यक देशवासियों की प्रगति में मूल सामाजिक व्यवधान : मनुवादी आतंकवाद!

2-बहुसंख्यक देशवासियों की प्रगति का संवैधानिक समाधान : समान प्रतिनिधित्व।


अर्थात्

समान प्रतिनिधित्व की युक्ति! मनुवादी आतंकवाद से मुक्ति!!


20.10.14

मीणा-मीना विवाद राजनैतिक षड्यंत्र की आहट!

मीणा-मीना विवाद राजनैतिक षड्यंत्र की आहट!  

खुशी की बात है कि आज मीणा-मीना मुद्दे पर मीणा समाज जगह-जगह सड़क पर उतर रहा है। बेशक सामूहिक रूप से जनान्दोलन की शुरूआत होना अभी शेष है, लेकिन इससे पहले ही सरकारी नाइंसाफी के खिलाफ लोगों के गुस्से की झलकियॉं दिख रही हैं। मगर सत्ता के गलियारे में इस मुद्दे पर किसी प्रकार की सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं है। बल्कि इसके ठीक विपरीत खुफिया सूत्रों से जो जानकारी मिल रही हैं, वे गहरी चिन्ता का कारण हैं। सूत्रों को उजागर किये बिना, प्राप्त सूचनाओं को समाज हित में उजागर करना जरूरी हो गया है। अत: बिना किसी दस्तावेजी सबूत के मैं जिम्मेदारी के साथ कुछ बातें सोशल मीडिया के मार्फत समाज के सामने प्रकट करना जरूरी समझता हूँ। लेकिन इससे पहले न चाहते हुए भी कुछ अप्रिय बातों पर भी चर्चा करना जरूरी है।

दो महिने पहले तक मीणा-मीना मुद्दे पर चर्चा तक नहीं होती थी, या चर्चा नहीं होने दी जाती थी। मगर वर्तमान में सोशल मीडिया से लेकर गॉंवों तक में तस्वीर बदल गयी है। जिसके लिये मीणा समाज का हर जागरूक व्यक्ति ‘हक रक्षक दल’ के लाखों समर्थकों, कार्यकर्ताओं और समर्पित युवा रक्षकों द्वारा संचालित हस्ताक्षर अभियान को श्रेय देने में पीछे नहीं है। यह सच है कि ‘हक रक्षक दल’ के रक्षकों ने सारा परिदृश्य बदलने में गॉंव-गॉंव ढाणी-ढाणी जाकर लोगों को जागृत किया है।

मगर इससे भी बड़ा सच यह है कि न्याय-व्यवस्था में आस्था और विश्‍वास का गुणगान करके समाज को अंधेरे में रखने वाले और सत्तापक्ष के पिछलग्गू पढ़े लिखे और उच्च पदस्थ लोगों की ओर से समाज को जिस प्रकार से गुमराह किया गया, उसका गुस्सा भी बड़ा कारण रहा है। जिसके चलते उभरे गुस्से के कारण भी ‘हक रक्षक दल’ के हस्ताक्षर अभियान को सोशल मीडिया तथा जनता के बीच खूब सहयोग और समर्थन मिला है।

लेकिन कितनी दु:खद बात है कि जब मीणा समाज का एक जनप्रतिनिधि खुलकर कहे कि मीणा-मीना कोई मुद्दा ही नहीं है और उसके अघोषित किन्तु सर्वविदित पिछलग्गू फेसबुक पर संचालित ग्रुप पर मीणा-मीना मुद्दे की हकीकत को बयां करने वाली पोस्ट को डिलीट कर दें और पोस्ट लिखने वालों को ब्लॉक कर दें।

जिस कोर्ट के न्याय की ऐसे लोग दुहाई देते नहीं थकते थे, वही कोर्ट मामले की अन्तिम सुनवाई पूर्ण हुए बिना आदेश जारी कर दे कि "मीणा जाति को आरक्षण नहीं है।" क्या इसी को इंसाफ कहते हैं?

सच सामने आने के बाद भी यदि ऐसे समाज के दुश्मनों के विरुद्ध लोगों में गुस्सा नहीं उभरेगा तो क्या ऐसे लोगों को मालाएँ पहनाई जायेंगी? मगर कहने हैं कि मूर्ख और दुष्ट कभी पराजय स्वीकार नहीं करते हैं।

अत: इन समाज द्रोहियों की ओर से समाज को भ्रमित करने का काम लगातार जारी रखा गया और मीणा समाज को भ्रमित करने के लिये मीणा समाज के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान करने वाले सामाजिक संगठन ‘हक रक्षक दल’ को और इसके कार्यकर्ताओं तथा नेतृत्व को निशाना बनाकर कुछ लोगों से जमकर दुष्प्रचार भी करवाया गया। इस अनैतिक और समाज विरोधी कार्य में अनेक फेसबुक ग्रुप संचालक खुद भी संलिप्त रहे हैं।

मुझे न चाहते हुए भी उपरोक्त पेराग्राफ लिखना जरूरी था। जिससे कि समाज के सामने सच्चाई को रखा जा सके।

अब फिर से मुद्दे की बात पर आते हैं।

सबसे पहली बात तो यह कि मीणा-मीना मुद्दा तकनीकी रूप से सरकार के काले अंग्रेजों की देन है। मगर हमारे ही भील भाईयों को भ्रमित करके इस मुद्दे को कोर्ट और मीडिया के मार्फत सुर्खियों में लाने का काम मनुवादी व्यवस्था के पोषकों का है। जो अपने लक्ष्य को पाने के लिये कुछ भी करने को तत्पर हैं।

इस बारे में एक उदाहरण-हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से पूर्व देशभर में हिन्दू मतों का ध्रुवीकरण करने के लिये देश मेंं सुनियोजित रूप से ‘लव जेहाद’ चलाया जाना और पाक सीमा पर ‘सीज फायर’ के उल्लंघन का हो हल्ला मचाया जाना। जबकि जमीनी सच्चाई क्या है, इस बारे में विश्‍व मीडिया ने सब कुछ लिख दिया है।

अत: जो लोग सत्ता पाने के लिये फोजियों के जीवन को दाव पर लगा सकते हैं। प्रायोजित युद्ध का माहौल प्रचारित कर सकते हैं। प्यार को जेहाद बतलाकर दुष्प्रचार कर सकते हैं। उनके लिये मीणा जाति के भविष्य को बर्बाद करना कोई बड़ी बात नहीं है।

इसी पृष्ठभूमि में राजस्थान के दोनों मुख्य दलों को संचालित करने वाले मनुवादियों की ओर से मीणा जाति को नेस्तनाबूद करने के लिये अन्दरखाने पूर्ण सहमति बन चुकी है। जिसके तहत वर्तमान हालातों में दिखावे के लिये सहानुभूति रखने वाले कुछ राजनैतिक बयान सामने आ सकते हैं। मगर न तो विपक्ष मीणा-मीना मुद्दे को विधानसभा में बड़ा मुद्दा बनाने योग्य समझता है और न ही सत्तापक्ष ऐसा होने देना चाहता है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार दोनों प्रमुख दलों से बाहर चल रहे और सत्ता से अन्दरखाने मेलजोल रखने वाले किसी मीणा राजनेता के मार्फत मीणा समाज को दिग्भ्रमित करने के लिये दिवाली के बाद एक बड़ी पंचायत या महापड़ाव की घोषणा करवायी जा सकती है। जिसके मार्फत समाज को गुर्जर आन्दोलन की तर्ज पर भड़काया जाकर हिंसक बनाया जाया जाना असली मकसद है। जिसके मार्फत मूल मामले से ध्यान हटाकर और मनुवादी मीडिया के मार्फत मीणाओं को आपराधिक प्रकरणों में इस प्रकार से उलझा दिये जाने का षड़यंत्र रचा जा रहा है कि मीणा-मीना मुद्दा अगले विधानसभा चुनाव तक खिंच सके।

12 अक्टूबर के सांकेतिक धरने को असफल बनाने में इन्हीं ताकतों का हाथ था। इस धरने पर भी मनुवादी ताकतों का परोक्ष कब्जा था। सूत्रों का यह भी कहना है कि राजस्थान के दोनों प्रमुख समाचार-पत्रों को स्पष्ट प्रबन्धकीय निर्देश हैं कि मीणाओं के खिलाफ खबरों को प्रमुखता से राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित किया जाये, लेकिन मीणाओं की ओर से प्राप्त खबरों को सबसे पहले को छापा ही नहीं जाये। यदि छापना जरूरी हो तो अन्दर के पन्ने पर या स्थानीय स्तर पर काट छांट कर संक्षेप में छापा जाये। परिणाम सबके सामाने है। धरने की या ‘हक रक्षक दल’ की ओर से राज्य सरकार को दिये गये ज्ञापन की खबर को पूरी तरह से दबा दिया गया। 

सूत्रों का यहॉं तक कहना है कि मीणा-मीना मुद्दे को लेकर मीणा समाज को अनेक गुटों में विभाजित करने और हिंसा का रास्ता अख्तियार करने के लिये पक्ष और विपक्ष की आन्तरिक सहमति से मीणा जाति के विभीक्षण/विभीक्षणों को तलाश लिया गया है। जिनका चेहरा/चेहरे जल्द/दीपावली बाद सामने आने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है।

अत: समाज के सामने सावधानी और सतर्कता दो ही रास्ते हैं। समाज का आन्दोलन तो जल्द से जल्द होना चाहिये, मगर सम्पूर्ण रूप से गैर-राजनैतिक लोगों के द्वारा ही ऐसा किया जाना चाहिये। अन्यथा हालात बद से बदतर होने से समाज को बचाया जाना असम्भव हो जायेगा। ऐसे में निर्णय समाज को मिलकर लेना होगा। साथ ही यह बात भी समझनी होगी कि किसी भी स्तर पर जनान्दोलन वातानुकूलित कक्षों या फाइव स्टार होटलों में बैठकर संचालित नहीं किये जा सकते हैं। इसके लिये सुनियोजित योजना और पर्याप्त से भी अधिक संसाधनों की जरूरत होगी। जिसके लिये समाज के हर समर्थ और समक्ष व्यक्ति को खुलकर सहयोग करना होगा। ‘हक रक्षक दल’ की ओर से एक लाख लोगों के हस्ताक्षरों का ज्ञापन राज्य सरकार को देकर प्रदेशव्यापी जनान्दोलन का नोटिस दिये जाने का प्रस्ताव है। इस बारे में समाज से तीन प्रकार के सक्रिय सहयोग की उम्मीद है :-

1. दिवाली की छुटि्टयों में सक्रिय रहकर सभी मिलकर एक लाख की जगह पर सवा या डेढ लाख हस्ताक्षर करवाने में सहयोग करें। जिससे दिवाली के ठीक बाद ज्ञापन देने की तारीख तय करके ज्ञापन दिया जा सके।

2. ज्ञापन देते समय हजारों लोगों का हुजूम जयपुर की सड़कों पर रैली के रूप में हाजिर होकर, राज्य सरकार को अहसास करवा दे कि मीणा समाज की शान्ति को कमजोरी नहीं माना जाये।

3. ज्ञापन के 15 दिन बाद भी यदि राज्य सरकार की समझ में कुछ नहीं आता है और राज्य सरकार संशोधित अधिसूचना के लिये केन्द्र सरकार को लिखित सिफारिश नहीं करती है तो अकल्पनीय जनान्दोलन की तैयारी की जावे। जिसके लिये ‘हक रक्षक दल’ समाज के सभी गैर-राजनैतिक समूहों/ग्रुपों के साथ मिलकर चर्चा और काम करने को आगे से सहमत है।-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' प्रमुख-हक़ रक्षक दल-Mob : 98750-66111.

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