SJS&PBS

स्थापना : 18 अगस्त, 2014


: मकसद :

हमारा मकसद साफ! सभी के साथ इंसाफ!!


: अवधारणा :


सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक जिम्मेदारी!

Social Justice, Secularism And Pay Back to Society-SJS&PBS


: सवाल और जवाब :


1-बहुसंख्यक देशवासियों की प्रगति में मूल सामाजिक व्यवधान : मनुवादी आतंकवाद!

2-बहुसंख्यक देशवासियों की प्रगति का संवैधानिक समाधान : समान प्रतिनिधित्व।


अर्थात्

समान प्रतिनिधित्व की युक्ति! मनुवादी आतंकवाद से मुक्ति!!


9.10.14

पहले समझें हक रक्षक दल की विचारधारा। यदि आप सहमत हों तो जोइन करें!










पहले समझें हक रक्षक दल की विचारधारा।
यदि आप सहमत हों तो जोइन करें!

हक रक्षक दल जन्मजातीय विभेद और शोषण समर्थक व्यवस्था की वेदना से जन्मा है। जिसने हजारों सालों से भारतियों को धर्म के नाम पर मानसिक गुलाम बना रखा है।

अत: सबसे पहले जानिये कि क्या है ये अमानवीय-षड़यंत्रकारी-विचारधारा?

1. हत्यारे और आतंकी भगवान : जो विचारधारा क्षत्रियों का 21 बार सर्वनाश करने वाले संसार के सबसे क्रूरतम हत्यारे परशुराम और धार्मिक आतंक के जन्मदाता मनु को भगवान मानती है!

2. धोखेबाज-हत्यारे आदर्श : जो विचारधारा संसार के श्रेष्ठतम धनुर्धारी ऐकलव्य से धोखा करने वाले द्रोणाचार्य को महागुरु और मोहनदास कर्मचंद गॉंधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को अपना आदर्श मानती है!

3. सम्पूर्ण व्यवस्था पर काबिज : जो विचारधारा स्वरचित ग्रंथों में लिखित ऊलजुलूल बातों को हिन्दू धर्म घोषित करके, हजारों सालों से सम्पूर्ण धार्मिक, सामाजिक, प्रशासनिक और न्यायिक व्यवस्था पर काबिज है!

4. बौद्धिक श्रेृष्ठता के नाम पर एक छत्र कब्जा : जो विचारधारा संवैधानिक व्यवस्था को धता बताकर आज भी बौद्धिक श्रेृष्ठता के नाम पर न्यायपालिका, विधायिका, प्रशासन और मीडिया पर एक छत्र कब्जा किये हुए है!

5. समान हिस्सेदारी और भागीदारी के खिलाफ : जो विचारधारा महिलाओं सहित, पिछड़े, वंचित और शोषित वर्गों को आर्थिक संसाधनों में समान हिस्सेदारी और संवैधानिक सत्ता में जनसंख्या के अनुसार भागीदारी देने के खिलाफ है।

6. ओबीसी को प्रमोशन और विधायिका में आरक्षण के खिलाफ : जो विचारधारा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को राज्यों की विधानसभाओं, संसद और उच्च प्रशासनिक पदों पर प्रमोशन देने हेतु आरक्षण प्रदान करने के सख्त खिलाफ है।

7. कोर्ट के जरिये प्रमोशन का आरक्षण छीनने का षड़यंत्र : जो विचारधारा सुप्रीम कोर्ट के जरिये अनु. जातियों एवं अनु. जनजातियों को प्रमोशन हेतु मिले आरक्षण के मूल अधिकार को छीनने के लिये लगातार षड़यंत्र रचती रहती है।

8. दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों के विरोधी पटेल के सपनों का भारत : जो जनता के धन से सरदार पटेल के सपनों का भारत बनाने की योजना बनाती हैं। जबकि मनुवादी सरदार पटेल ने कहा था कि-दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों की हमारे साथ में विधान सभाओं और संसद में बैठने की औकात नहीं है।

9. गॉंधी के सपनों का हिन्दुस्तान : जो ढोंगी और मनुवादी एम के गॉंधी के सपनों का हिन्दुस्तान बनाना चाहती है-
(1) अपना पेशा मत छोड़ो : जिसने साफ शब्दों में कहा था कि जो व्यक्ति जिस जाति में जन्मा है, उसे अपने वंशानुगत पेशे को छोड़कर दूसरे (उच्च वर्ग के) पेशों को नहीं अपनाना चाहिये।
(2) स्त्री घर में ही रहे : जो गॉंधी स्त्रियों की आजादी व घरों से बाहर काम करने का कट्टर विरोधी था। और
(3) वंचितों तथा पिछड़ों के हक छीनने हेतु भूख हड़ताल : वंचितों तथा पिछड़ों की सत्ता में सीधी भागीदारी हेतु अंग्रेजी सरकार द्वारा मोहम्मद अली जिह्ना के सहयोग से स्वीकृत सेपरेट इलेक्ट्रोल के अधिकार को छीनने हेतु जिस गॉंधी ने भूख हड़ताल की और डॉ. अम्बेड़कर को झुकने को मजबूर कर दिया था।
10. जो विचारधारा 15 अगस्त, 1947 तक अंग्रेजी और अंग्रेजों का समर्थन करती रही और जिसने-
(1) अंग्रेजी : अंग्रेजों की नौकरी के नाम पर भारतियों पर अंग्रेजी भाषा और अंग्रेजी कानून लादे।
(2) अंग्रेजों के हिस्सेदार : जिन्होंने सत्ता और व्यापार में अंग्रेजों के साथ जमकर हिस्सेदारी की।
(3) स्वतन्त्रता सेनानियों का विरोध : आजादी की लड़ाई में जिस विचारधारा ने सहयोग करने के बजाय, अंग्रेजों का साथ दिया और स्वतन्त्रता सेनानियों का लागातार विरोध तथा उत्पीड़न किया।
(4) अंग्रेजी राजकाज की भाषा : मनुवादियों, पूँजिपतियों और काले अंग्रेजों के अपवित्र गठजोड़ ने आज भी अंग्रेजी को राजकाज की भाषा बना रखा है। और 
(5) अंग्रेजी जरूरी : आजाद भारत में इंसाफ और रोजगार पाने के लिये अंग्रेजी भाषा का ज्ञान जरूरी। 
11. गिरोह का कब्जा : आजादी के बाद मनुवादी, पूँजीवादी और काले अंग्रेजों का गिरोह एकजुट होकर इस देश की सम्पूर्ण व्यवस्था पर काबिज हो गया। जिसके चलते-
(1) 70 % कब्जा : आज तक 70 फीसदी से अधिक उच्च पदों नीति-नियन्ता पर इन्हीं का कब्जा है।
(2) शून्य प्रतिनिधित्व : प्रथम श्रेणी के उच्च प्रशासनिक पदों पर और न्यायपालिका में आरक्षण नहीं दिये जाने के कारण पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों का प्रतिनिधित्व शून्य या नहीं के बराबर है।
(3) जनप्रतिनिधि गुलाम : दलित-आदिवासी जनप्रतिनिधियों को इन्होंने अपने दलों का गुलाम बना लिया है।
(4) दस फीसदी लोगों के गिरोह का कब्जा : केवल दस फीसदी मनुवादियों, पूँजिपतियों और काले अंग्रेजों का देश के 95 फीसदी आर्थिक संसाधनों पर कब्जा हो चुका है। जबकि 90 फीसदी मेहनतकश और गरीब आबादी मात्र 5 फीसदी संसाधनों पर जैसे तैसे गुजर-बशर करने को मजबूर है। 
(5) क्षत्रियों को 1 फीसदी भी नहीं : इसी गिरोह के तिगड्डे के कारण-जिन 5 फीसदी क्षत्रियों का आजादी से पूर्व प्रशासनिक पदों पर वर्चस्व था, आज प्रशासन में क्षत्रियों का 1 फीसदी प्रतिनिधित्व भी नहीं है।
एक सवाल : क्या-सिंधियों, ईसाइयों और मुस्लिमों ने कभी आरक्षण का विरोध किया?
जवाब : नहीं कभी विरोध नहीं किया!
दूसरा सवाल : फिर ये तिगड्डा (मनुवादियों, पूँजिपतियों और काले अंग्रेजों का गिरोह) हिन्दुत्व के नाम पर भोले-भाले आरक्षित वर्गों को मुस्लिमों से लड़ने के लिये क्यों आगे कर देता है?
जवाब : क्योंकि हम मनुवादियों के धार्मिक गुलाम हैं!

चेतावनी : यदि इस तिगड्डे को तुरन्त नहीं रोका गया तो, ये लोग दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों और मुस्लिमों को एक-दूसरे के खिलाफ भड़काकर आपस में लड़ा मारेगा और देशी-विदेशों धनवानों को इस देश को बेच देगा।

अत: सभी वर्गों और जाति-समूहों को राष्ट्रीय संसाधनों में समान हिस्सेदारी और सभी संवैधानिक संस्थानों में सभी पदों पर समान प्रतिनिधित्व सुनिश्‍चित करवाने हेतु-
1. सामाजिक न्याय,
2. धर्मनिरपेक्षता और
3. लोक सेवकों सहित सभी नागरिकों द्वारा सामाजिक जिम्मदारी का निर्वाह करने के-
अनिवार्य संवैधानिक लक्ष्य की प्राप्ति के लिये ‘हक रक्षक दल’ की स्थापना की गयी है। जिसका प्रथम लक्ष्य मनुवादियों, पूँजिपतियों और काले अंग्रेजों के इस गिरोह से भारत को आजाद करवाना है। साथ ही समाज के हर एक वर्ग और जाति-समूह को ईमानदारी से उनका हक दिलवाना है। अत: हमारा साफ शब्दों में कहना है कि- 

हमारा मकसद साफ!
सभी के साथ इंसाफ।

इस मकसद को पाने के लिये उन सभी को आगे आना होगा, जो ‘हक रक्षक दल’ की इस पवित्र और राष्ट्रहित की विचारधारा में आस्था और विश्‍वास रखते हैं। यह देश सभी का है। अत: इस देश के आर्थिक संसाधनों में जनसंख्या के अनुसार सभी को बाराबर की हिस्सेदारी मिले और देश के सभी ंसंवैधानिक संस्थानों के संचालन में भी सभी वर्गों और जाति समूहों को उनकी जनसंख्या के अनुसार प्रतिनिधित्व सुनिश्‍चित हो। इस पवित्र लक्ष्य को पाने के लिये हमें एक साथ आना होगा। क्योंकि-
1. एक साथ आना शुरूआत है।
2. एक साथ रहना प्रगति है। और
3. एक साथ काम करना सफलता है।
लेकिन सफलता पाने के लिये हमें विशेष रूप से हमशा याद रखना होगा कि-

हमारे संघर्ष का आधार-
अनुशासन और अहिंसा!

अत: जो भी देशवासी ‘हक रक्षक दल’ के इस पवित्र और लोक कल्याणकारी विचार से सहमत हैं, उनके लिये ‘हक रक्षक दल’ के दरवाजे सदैव खुले हुए हैं। आइये आपका आपका स्वागत है।

आखिर कब तक सिसकते रहोगे?
बोलोगे नहीं तो कोई सुनेगा कैसे?


मित्रो यदि आप थोड़ा सा भी दबे,
तो ये लोग आपको और दबायेंगे।
यदि आप मुकाबला करोगे तो,
वे दुम दबाकर भाग जायेंगे।

आइये-मित्रो हर गॉंव-गॉंव, ढाणी-ढाणी में हक रक्षक दल के सजग रक्षकों की फौज तैयार करें। 

-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’
प्रमुख-हक रक्षक दल
E-mail : haqrakshakdal@gmail.com

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