#माधुरी #पाटिल केस की #असंवैधानिक #सिफारिशों के #साईड-इफेक्ट प्रारम्भ
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मीणाओं के #जाति-प्रमाण-पत्र नहीं बनाने के लिए-करौली जिला #कलेक्टर
ने #माधुरी-पाटिल-केस की #मनमानी #सिफारिशों की आड़ लेना शुरू किया!
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#मनुवादियों, #पूंजीपतियों और #काले-अंग्रेजों द्वारा #प्रायोजित #मीणा-मीना विवाद के चलते आज मीणा समाज जिस #दिशा-विहीन किया जा चुका है। जिससे मीणा-समाज को उबारने की संवैधानिक जिम्मेदारी मीणा समाज के #निर्वाचित #जन-प्रतिनिधियों और #संविधान के #अनुच्छेद 16 (4) के तहत #आरक्षण का लाभ लेकर #शासकीय-सेवा में सेवारत मीणा समाज के #मीणा-लोक-सेवकों की है!
इन दोनों तबकों में से कौन किस तरह से अपनी इस #संवैधानिक और #सामाजिक-जिम्मेदारी का निर्वाह कर रहा है। कुछ भी बताने की जरूरत नहीं है। सब कुछ समाज के सामने है।
हमारे बीच प्राम्भ से ही समाज की सेवा करने वाले भी मौजूद रहे हैं। जिनसे समाज को अत्यधिक उम्मीद रही है। मगर समाज की सेवा के नाम पर समाज सेवियों द्वारा समाज का जैसा मार्गदर्शन किया जा रहा है। वह भी समाज के सामने है!
1- @मनुवादियों के #मानसिक-शिकंजे में कैद कुछ मीणा #जनप्रतिनिधियों द्वारा मीणा समाज को लगातार गुमराह और भ्रमित किया जा रहा है। जिसके चलते समाज की जाग्रति और एकता बाधित और विखंडित हो रही है। जिसका ताजा उदाहरण है, मीडिया के माध्यम से यह बयान जारी करना कि-
"मीणाओं के #जाति-प्रमाण-पत्र बनाने पर रोक हटी।"
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रोक 30 सितमबर, 2014 के राज्य सरकार के आदेश द्वारा लगाई गयी थी जो आज तक नहीं हटी है।
बल्कि कड़वा सच तो ये है "मीना" नाम से भी अनेकों जगह #जाति-प्रमाण-पत्र जारी नहीं किये जा रहे हैं।
2- कथित बुद्धिजीवी मीणा समाज सेवियों द्वारा #संचालित-स्वघोषित-सर्वेसर्वा-संगठन के अदूरदर्शी और आत्मघाती प्रयासों का दु:खद दुष्परिणाम है-
"सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी #माधुरी-पाटिल-केस की न्याय के नाम पर #अन्यायपूर्ण और #असंवैधानिक सिफारिशों को राजस्थान में लागू करवाने के लिए #न्यायिक-प्रयास करना।"
जिसके चलते "मीना/Mina" जाति के नाम से पहले जारी किये जा रहे #जाति-प्रमाण-पत्र बनना भी लगभग असम्भव बना दिया गया है। #सुप्रीम-कोर्ट के निर्णय का असली #निहितार्थ (Hidden Agenda) भी यही था। जिसे समझने में कहाँ और क्यों चूक हुई ये तो मुझे नहीं पता मगर " #माधुरी-पाटिल-केस की न्याय के नाम पर #अन्यायपूर्ण और #असंवैधानिक सिफारिशों को राजस्थान में लागू करवाने के लिए न्यायिक प्रयास करना।" मीणाओं के हितों पर मनुवादियों द्वारा किये गए कुठाराघात ( #मीणा-मीना-विवाद) से हजार गुना मूर्खतापूर्ण कार्य (यदि अनजाने में किया गया है तो) है। अन्यथा यह समस्त आरक्षित वर्गों के विरूद्ध किया गया अक्षम्य ऐतिहासिक अपराध है।
जिसके #दुष्परिणाम तुरंत सामने आ चुके हैं :
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1- #समता-आंदोलन-समिति की चुनाव आयोग से मांग : स्थानीय निकाय चुनावों में और पंचायत चुनावों में माधुरी पाटिल केस की सिफारिशों के अनुसार निर्धारित रीति से जारी किये गए #जाति-प्रमाण-पत्र ही स्वीकार किये जाएँ। विशेषकर मीणाओं के बारे में कहा गया है।
2- करौली जिला कलेक्टर का कहना है कि यदि समस्त रिकॉर्ड (रेवन्यू, शैक्षिक, वोटर-लिस्ट, राशन कार्ड आदि में) केवल मीना (Mina) लिखा है तो ही मीना जाति का #जाति-प्रमाण-पत्र जारी किया जायेगा। वो भी केवल हिन्दी में मीना नाम से, मार्कशीट में नाम के साथ Meena लिखे को करौली कलेकटर और नादौती तहसीलदार मीणा मानते हैं। किसी को शक हो तो करौली कलेक्टर और नादौती तहसीलदार से बात की जा सकती है।
नोट : " #माधुरी-पाटिल-केस की न्याय के नाम पर जारी की गयी #अन्यायपूर्ण और #असंवैधानिक-सिफारशें कलेक्टर को इसी प्रकार के #असंवैधानिक और #मनमाने #अधिकार प्रदान करती हैं।"
अब हम मीणाओं को तीन मोर्चों पर लड़ना होगा :
इन विकट हालतों में #मीणा-समाज के लोगों को तीन मोर्चों पर लड़ना होगा-
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पहला : #मनुवादियों से जिनके हजारों चेहरे हैं, मगर ऑन रिकॉर्ड - समता आंदोलन समिति है। जिसकी हर मनुवादी चाल का जवाब देना होगा।
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दूसरा : उन मीणा मनुवादी समाज सेवकों (जन प्रतिनिधियों और समाजसेवियों) को मीणा समाज का हित और संवैधानिक सत्य बताना होगा और यदि संभव हो तो उनका सकारात्मक साथ लेना होगा, जो ना जाने क्यों मीणा समाज को गुमराह और भ्रमित कर रहे हैं।
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तीसरा : #माधुरी-पाटिल-केस की न्याय के नाम पर #सुप्रीम-कोर्ट द्वारा जारी की गयी #अन्यायपूर्ण और #असंवैधानिक-सिफारिशों को निरस्त करवाना होगा, जो सरकार और अफसरों को आरक्षित वर्गों के विरुद्ध असंवैधानिक और मनमाने अधिकार प्रदान करती हैं।" इनको निरस्त करवाना #मीणा-मीना विवाद से भी अधिक जरूरी है।
इस तीनों कार्यों के लिए #हक-रक्षक-दल (HRD) के रक्षकों और लाखों समर्थकों को खुलकर आगे आना होगा और अपना सामाजिक दायित्व निभाना होगा। जो बहुत बड़ी और कठिन चुनौती है। मगर असम्भव नहीं है।
--सबसे पहला काम मीणा समाज को गुमराह होने से बचाना और सत्य को बताना होगा।
--जिसके लिए हमें मीणा समाज के बीच गाँव गाँव लोगों के बीच जाकर बात करनी होगी।
--केवल रैली और भीड़ जुटाने से कुछ नहीं होगा, समाज को सच बताना और समझना होगा।
--अब जरा सा भी विलम्ब घातक होगा। पलों के विलम्ब की कीमत हजारों सालों तक चुकानी होगी।
--अत : मित्रो तुरंत--"जागो, जगाओ, सच बताओ और अपना सामाजिक दायित्व निभाओ!"
-----डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' प्रमुख-हक रक्षक दल (98750-66111)
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