SJS&PBS

स्थापना : 18 अगस्त, 2014


: मकसद :

हमारा मकसद साफ! सभी के साथ इंसाफ!!


: अवधारणा :


सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक जिम्मेदारी!

Social Justice, Secularism And Pay Back to Society-SJS&PBS


: सवाल और जवाब :


1-बहुसंख्यक देशवासियों की प्रगति में मूल सामाजिक व्यवधान : मनुवादी आतंकवाद!

2-बहुसंख्यक देशवासियों की प्रगति का संवैधानिक समाधान : समान प्रतिनिधित्व।


अर्थात्

समान प्रतिनिधित्व की युक्ति! मनुवादी आतंकवाद से मुक्ति!!


21.3.15

हक रक्षक दल की रैणी की सभा स्थगित, लेकिन क्यों? पढें और जानें।

हक रक्षक दल की रैणी की सभा स्थगित, लेकिन क्यों? पढें और जानें।
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बसपा के संस्थापक श्री कांशीराम जी ने बहुजन समाज के अग्रणी लोगों का आह्वान किया था कि वे ‘समाज का कर्ज चुकायें।’ इस अवधारणा को उन्होंने ‘पे-बैक टू सोसायटी’ नाम दिया था। इसी अवधारणा को आगे बढाने के लिये श्री देवराज मीणा ने अपने फेसबुक फ्रेण्ड्स को जोड़कर ‘पे-बैक टू सोसायटी’ अर्थात् पीबीएस नामक वाट्स एप ग्रुप बनाकर, इस अवधारणा को पुनर्जीवित किया। जिसके लिये 27 जुलाई, 14 को दौसा में एक मीटिंग रखी गयी। इस आयोजन के तत्काल बाद ही, 27 जुलाई, 14 की मीटिंग में शामिल एक संगठन प्रमुख ने पीबीएस के लोगों को बरगला कर अपने संगठन में जुड़ने के लिये प्रलोभित करना /तोड़ना शुरू कर दिया।

इसी दौरान अजा एवं अजजा संगठनों के अखिल भारतीय परिसंघ के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव और राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्टीय स्तर पर सम्मानित विचारक एवं लेखक डॉ. पुरुषोत्तम मीणा जी से श्री देवराज जी ने इस बारे में मुलाकात की। डॉ. पुरुषोत्तम मीणा जी ने उनको समझाया कि मनुवादी ताकतें आजादी के बाद से लगातार सभी वंचित व आरक्षित वर्गों को तहस नहस करने के षड़यंत्र रचती रही हैं। इसलिये केवल मीणाओं के बल पर इस लड़ाई को सफलतापूर्वक नहीं लड़ा जा सकता, क्योंकि आर्यों का देशभर में ताकतवर गठजोड़ है और सभी अनार्य बिखरे हुए हैं। आर्य मनुवाद और हिन्दुत्व की ओट में अनार्यों को आपस में लड़ाते रहते हैं। अत: अब समय आ गया है कि देश के सभी अनार्यों को एक मंच पर एकजुट किया जाये। जिसके लिये पीबीएस की विचारधारा को विस्तार और संगठित रूप देने की जरूरत है। अत: 18 अगस्त, 15 को डॉ. पुरुषोत्तम मीणा जी के विचारों से सहमत होकर, करीब दो-तीन दर्जन लोगों की उपस्थिति में अनौपचारिक रूप से हक रक्षक दल का गठन किया गया और सर्वसम्मति से डॉ. पुरुषोत्तम मीणा जी को इसका रजिस्ट्रेशन करवाने और संचालन करने की सम्पूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गयी।

श्री देवराज मीणा जी की सलाह पर, श्री देवराज मीणा, श्री महेश मीणा, श्री नरशी मीणा और श्री रामकिशोर मीणा को डॉ. पुरुषोत्तम मीणा जी ने अपना सहयोगी नियुक्त किया। इसके साथ ही मीणा-मीना विवाद को हक रक्षक दल की प्राथमिकता सूची में प्रथम प्राथमिकता प्रदान करके सोशल मीडिया के मार्फत मीणा समाज को समझाया गया कि मीणा-मीना विवाद का समाधान अदालत के मार्फत सम्भव नहीं है, बल्कि संविधान में संशोधन करके, मूल अधिसूचना में संशोधन के जरिये ही मीणा-मीना विवाद का स्थायी समाधान सम्भव है। इस कारण कोर्ट के मार्फत मीणा-मीना विवाद को लड़ने की बात कह कर समाज को भ्रमित करने वाले और इस हेतु समाज से चन्दा एकत्रित करने वाले ऐलीट वर्ग ने हक रक्षक दल को निशाने पर ले लिया।

अत: विरोधी ताकतों द्वारा हक रक्षक दल में पदाधिकारियों की नियुक्ति को लेकर, 18 अगस्त 14 को उपस्थित रहे कुछ ना-समझ हक रक्षकों के मार्फत सवाल खड़े करवाये गये। साथ ही मीणा नेतागिरी नामक मीणाओं के फेसबुक ग्रुप पर हक रक्षक दल की ओर से लिखले वालों को ब्लॉक कर दिया गया।

इस सब को दरकिनार करते हुए हक रक्षक दल की ओर से मीणा-मीना विवाद की हकीकत जनता के सामने लाने के लिये हक रक्षक दल के समर्पित हक़ रक्षकों द्वारा एक लाख हस्ताक्षर करवाकर राजस्थान सरकार को ज्ञापन देने का अभियान शुरू किया गया। जिसके चलते गॉंव और ढाणियों तक लोगों को इस मुद्दे की हकीकत और गम्भीरता का पता चला। लेकिन विरोधियों ने हस्ताक्षरित फोर्मेट्स को फड़वाया दिया गया या जलवाया गया। गुमराह करने के कारण कुछ ने तो अभी तक हस्ताक्षरित फोर्मट जमा नहीं किये हैं। श्री विमल मीणा और श्री रामकिशोर मीणा द्वारा एक भी हस्ताक्षरित फोर्मट जमा नहीं किया गया। इस कारण अभी तक एक लाख हस्ताक्षर पूर्ण नहीं हो सके। 

इसी दौरान हक़ रक्षक दल टीम की ओर से सोशल मीडिया पर लिखना जारी रहा। जिसके लिये हक़ रक्षक दल द्वारा एक अन्य नये फेस बुक ग्रुप को सक्रिय सहयोग देकर, उस पर लिखना शुरू किया। जिससे वह ग्रुप खड़ा हुआ। हक रक्षक दल टीम के विचारों और कार्यों से प्रभावित होकर देशभर के लोगों का अप्रत्याशित समर्थन मिलने लगा। लेकिन हक रक्षक दल टीम द्वारा खड़े किये नये फेस बुक ग्रुप के संचालक ने हक रक्षक दल को अपने हिसाब से हांकने की असफल कोशिश की। यद्यपि बाद में ज्ञात हुआ कि वह श्री रामकिशोर मीणा के मार्फत श्री नरशी मीणा, श्री महेश मीणा और श्री देवराज मीणा को प्रभावित करके, श्री विमल कुमार मीणा को हक रक्षक दल में राजस्थान प्रदेश प्रभारी पद पर नियुक्त करवाने और हक रक्षक दल को अपने रिमोट से संचालित करने के इरादे को कागजी स्तर पर क्रियान्वित करने में सफल हो गया था। जिसकी जानकारी उस समय नहीं हो सकी। इस बीच हक रक्षक दल की आन्तरिक चर्चाएं लीक होने लगी और फेस बुक ग्रुप के उक्त संचालक तक पहुंचने लगी। श्री रामकिशोर मीणा द्वारा फेस बुक ग्रुप के संचालक के समर्थन में हक रक्षक दल के नेतृत्व के निर्णयों पर गैर-जरूरी और निराधार सवाल उठाये जाने गये। 

इसी बीच अगला बड़ा कदम उठाते हुए डॉ. पुरुषोत्तम मीणा जी के नेतृत्व में हक रक्षक दल की टीम ने जगह-जगह कार्यशाला और जनसभाओं के मार्फत आरक्षण, सामाजिक न्याय और मीणा-मीना मुद्दे की हकीकत को तथा कोर्ट में लड़ने की हकीकत को जनता के सामने रखा तो आश्‍चर्यजनक समर्थन मिलने लगा। यद्यपि श्री रामकिशोर मीणा, श्री नरशी मीणा और श्री महेश मीणा ने व्यक्तिगत कारणों से एक भी मीटिंग में भाग नहीं लिया। सोशल मीडिया पर भी हक रक्षक दल की मुहिम को अपार समर्थन मिला, लेकिन समाज को गुमराह करने वाले और हमारी मुहिम से परेशान लोगों की ओर से हक रक्षक दल के विरुद्ध अनर्गल बातें लिखी जाने लगी। जिन पर प्रदेश प्रभारी होकर भी श्री विमल मीणा चुप्पी साधे रहे और ऐसे विरोधियों के अन्य आलेखों को समर्थन और प्रोत्साहित भी करते रहे। जिस पर हक रक्षक दल की ओर से की जाने वाली आपत्तियों को नकारते हुए श्री रामकिशोर मीणा के सहयोग से विवादों को जन्म देना शुरू कर दिया। जिसके लिये श्री महेश मीणा और श्री नरशी मीणा को भी किन्हीं अज्ञात कारणों से भ्रमित किया गया। जिसका खुलासा तब हुआ, जबकि हक रक्षक दल के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू की गयी तो श्री देवराज मीणा जी के अथक प्रयासों के बावजूद भी श्री विमल मीणा, श्री रामकिशोर मीणा, श्री नरशी मीणा और श्री महेश मीणा ने अपने दस्तावेज नहीं देने और अपने हस्ताक्षर नहीं करने के बहाने बनाना शुरू कर दिया। साथ ही सवाल उठाने शुरू किये कि डॉ. पुरुषोत्तम मीणा जी जानबूझकर रजिस्ट्रेशन में विलम्ब कर रहे हैं और शुरूआती सहयोगियों की अनदेखी कर रहे हैं।

इसी के साथ उक्त फेसबुक ग्रुप संचालक की ओर से हक रक्षक दल को बदनाम करने वाली सामग्री प्रमुखता से डाली जाने लगी, हक रक्षक दल समर्थक टिप्पणी व पोस्ट हटायी जाने लगी और हक रक्षक दल के प्रमुख समर्थकों को ग्रुप से ब्लॉक करना शुरू किया जाने लगा।

लेकिन संगठन संचालन के अनुभवी और परिपक्व नेतृत्व डॉ. पुरुषोत्तम मीणा जी और हक रक्षक दल की टीम ने देशभर में मीणाओं को जगाने और दिल्ली से राष्ट्रीय स्तर पर हक रक्षक दल का रजिस्ट्रशन करवाने के प्रयास जारी रखे। साथ ही सभी के सहयोग से नया फेस बुक ग्रुप ‘‘सच का आईना’’ बना दिया। जिस पर पहले महिने में ही करीब दस हजार सदस्य जुड़ गये। इसके बाद भी उक्त ग्रुप संचालक और अन्य विरोधियों द्वारा हक रक्षक दल को अपने कब्जे में लेने या बिखेर देने की सीधी सुनियोजित मुहिम छेड़ दी। सोशल मीडिया के मार्फत चन्दा एकत्रित करने के निराधार आरोप लगाये गये। जिसका सभा आयोजकों द्वारा सीधा जवाब देकर आरोप लगाने वालों का मुंह बन्द कर दिया। मगर श्री विमल मीणा और श्री राम किशोर मीणा चुप्पी साधे रहे। इसके बाद श्री महेश मीणा और श्री नरशी मीणा को भी नेतृत्व के विरुद्ध भड़काने के लिये उक्त ग्रुप संचालक के मार्फत हक रक्षक दल, सच का आईना और हक रक्षक दल के नेतृत्व पर व्यक्तिगत आरोप लगाते हुए एक अत्यन्त शर्मनाक तथा समाज को तोड़ने वाली पोस्ट डलवाई गयी। जिसका श्री विमल मीणा और श्री राम किशोर मीणा ने खुलकर समर्थन किया। लेकिन श्री नरशी मीणा और श्री महेश मीणा का खुला समर्थन नहीं मिला। बहुसंख्यक समाज हितैषी लोगों द्वारा इस पोस्ट की कड़े शब्दों में आलोचना की गयी। इस बीच श्री विमल मीणा को जब भी समझाया गया, उनकी ओर से हर बार इस्तीफा पेश करके, दबाव बढाने का प्रयास किया गया। श्री देवराज जी के अनुरोध पर सभी की मीटिंग करके समाधान करने के अनेकानेक प्रयास किये गये, लेकिन किसी न की बहाने मीटिंग नहीं होने दी गयी और सोशल मीडिया पर प्रचारित यह किया गया कि डॉ. पुरुषोत्तम मीणा जी मीटिंग नहीं होने देना चाहते हैं।

इस प्रकार उक्त सभी के द्वारा रजिस्ट्रेशन हेतु अन्त तक हस्ताक्षर नहीं किये गये तो 27 फरवरी, 2015 को अन्य समर्पित हक रक्षकों के सहयोग से और श्री देवराज मीणा जी के संगठन से बाहर रहकर काम करने के अनुरोध को स्वीकार करके, विधिवत हक रक्षक दल सामाजिक संगठन की स्थापना करके राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन किया गया।

इस बीच श्री महेश मीणा ने वाट्स एप पर "आमना-सामना ग्रुप" बनाकर हक रक्षक दल और हक रक्षक दल नेतृत्व पर खुलेआम अनर्गल आरोप लगाये गये। जिन्हें श्री आरव मीणा के द्वारा सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया। सांगोद में मीटिंग की चर्चा के दौरान भी श्री महेश मीणा ने यही किया। अब जब 22 मार्च, 15 को रैणी, अलवर की मीटिंग निर्धारित की गयी तो श्री महेश मीणा ने एक ग्रुप बनाया, जिसमें हक रक्षक दल विरोधी और कोर्ट के मार्फत मीणा-मीना विवाद को उलझाने वालों के सहयोगियों को शामिल किया गया। जिसमें हक रक्षक दल और हक रक्षक दल के नेतृत्व पर घृणित आरोप लगाये गये। इन सभी चर्चाओं के दौरान श्री रामकिशोर मीणा, श्री विमल मीणा, श्री महेश मीणा और श्री नरशी मीणा ग्रुप में शामिल होकर भी मौन साधे रहे। विरोध में एक शब्द नहीं बोले और जब उनसे कारण पूछा गया तो श्री विमल मीणा ने सातवीं बार त्यागपत्र लिखकर सार्वजनिक रूप से अनेकानेक फेसबुक ग्रुप्स पर पोस्ट कर दिया और उक्त ग्रुप संचालक के ग्रुप पर टिप्पणी में लिखा कि दबाव के कारण त्यागपत्र दिया है। बाद में बिना कोई कारण बताये त्यागपत्र हटा लिया गया, लेकिन श्री देवराज मीणा जी और अन्य अनेक हक रक्षक दल शुभचिन्तकों की ओर से श्री विमल मीणा, श्री महेश मीणा और श्री नरशी मीणा से सार्वजनिक रूप से बार-बार अनुरोध किया गया कि यदि वे वास्तव में हक रक्षक दल की मुहिम और समाज हित की  मीटिंग के विरोधी नहीं हैं तो और रैणी क्षेत्र के लोगों को मीणा-मीना विवाद और समाज हित की हकीकत से वाकिफ करवाना चाहते हैं तो वे तीनों आगे आकर रैणी की मीटिंग के आयोजन की जिम्मेदारी अपने कन्धों पर लें। जिसके लिये तीनों ही लगातार हॉं कहते रहे, लेकिन इसके लिये किया कुछ नहीं। अन्तत: षड़यंत्र करने वाले समाज विरोधी सफल हुए और विरोधियों ने मिलकर रैणी के लोगों को जागरूक करने के लिये होने वाली सभा के पूर्वनिर्धारित स्थल पर, अन्य कार्यक्रम का आयोजन प्रस्तावित करवाकर, हक रक्षक दल की सभा को रोकने में सफल रहे।

अत: इन हालातों में श्री विमल कुमार मीणा का राजस्थान प्रदेश प्रभारी पद से सार्वजनिक रूप से दिया गया, त्यागपत्र स्वीकार किया जाता है और साथ ही स्पष्ट किया जाता है श्री विमल कुमार मीणा एवं श्री राम किशोर मीणा से हक रक्षक दल का कोई वास्ता नहीं है। साथ ही श्री नरशी मीणा और श्री महेश मीणा जो वर्तमान में न तो हक रक्षक दल के किसी पद पर हैं और न ही सदस्य हैं, लेकिन इनके द्वारा शुरूआत में हक रक्षक दल के लिये किये गये सहयोग को ध्यान में रखते हुए, इन दोनों से सार्वजनिक रूप से विनम्र आग्रह है कि आप दोनों विरोधियों की हक रक्षक दल की विरोधी मुहिम का हिस्सा नहीं बनें।

मनोज जौरवाल
राष्ट्रीय सचिव एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता
हक रक्षक दल
और
शशि मीणा
राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष,
हक रक्षक दल

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