SJS&PBS

स्थापना : 18 अगस्त, 2014


: मकसद :

हमारा मकसद साफ! सभी के साथ इंसाफ!!


: अवधारणा :


सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक जिम्मेदारी!

Social Justice, Secularism And Pay Back to Society-SJS&PBS


: सवाल और जवाब :


1-बहुसंख्यक देशवासियों की प्रगति में मूल सामाजिक व्यवधान : मनुवादी आतंकवाद!

2-बहुसंख्यक देशवासियों की प्रगति का संवैधानिक समाधान : समान प्रतिनिधित्व।


अर्थात्

समान प्रतिनिधित्व की युक्ति! मनुवादी आतंकवाद से मुक्ति!!


23.3.15

पृथ्वीराज आत्महत्या प्रकरण : HRD ने की उच्च स्तरीय जांच, मुआवजे और अनुकम्पा नियुक्ति की मांग



पृथ्वीराज आत्महत्या प्रकरण : HRD ने की उच्च स्तरीय जांच, मुआवजे और अनुकम्पा नियुक्ति की मांग
प्रतिष्ठा में,
1. गृहमंत्री, भारत सरकार, नयी दिल्ली। 2. रेलमंत्री, भारत सरकार, नयी दिल्ली।
3. गृहमंत्री, कर्नाटक सरकार, बैंगलोर। 4. महानिदेशक-रेलवे पुलिस, कर्नाटका, बैंगलोर।
प्रतिलिपि-पुलिस अधीक्षक-हुबली, महाप्रबन्धक-दक्षिण पश्‍चिम रेलवे मुख्यालस्य,-हुबली, मण्डल रेल प्रबन्धक, हुबली एवं सर्व-सम्बन्धित।

विषय : श्री पृथ्वीराम मीणा गैंगमैन, हुबली को आत्महत्या करने को मजबूर करने वाले दोषियों के विरुद्ध भारतीय दण्ड संहिता और अजा एवं अजजा अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत सख्त कानूनी कार्यवाही करने तथा मृतक के परिजनों को मुआवजा देने और मृतक के आश्रित को अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान करने के सम्बन्ध में।

इस संगठन (HRD) को प्राप्त जानकारी के अनुसार अनुसूचित जन जाति वर्ग के रेलकर्मी के श्री पृथ्वीराज मीना पिता का नाम श्री रतन लाल मीना, जाति-मीना, पता-मण्डावरी, तहसील-लालसोट, जिला-दौसा, राजस्थान का मूल निवासी था। वह गैंगमैने के पद पर आरोपी किशल लाल पद-एसएसई/पीडब्ल्यूआई, केसरलोक, डिवीजन-हुबली, दक्षिण पश्‍चिम रेलवे के अधीन सेवारत था। आरोपी द्वारा मृतक श्री पृथ्वीराज मीना के ऊपर घरेलु कार्य करवाने सहित, न जाने कितने अन्याय और अत्याचार किये गये, जिनके बारे में उच्च रेल अधिकारियों ने भी कोई कार्यवाही नहीं की। जिससे तंग आकर वह दि. 19.03.15 को आत्महत्या करने को मजबूर हो गया। इतनी घिनौनी घटना हो जाने का कारण है-रेलवे में ग्रुप-डी कर्मचारियों को रेलवे सुपरवाईजर्स और अफसरों द्वारा अपने निजी गुलाम समझने की औपनिवेशिक मानसिकता का आज भी जिन्दा रहना। रेलवे में अधिकतर अधिकारी और सुपरवाईजर ग्रुप-डी कर्मचारियों से रेलवे का कार्य लेने के बजाय अनाधिकृत रूप से अपना घरेलू काम करवाते हैं। जिसके तहत अपनी बीवियों और बेटियों के गंदे कपड़े धुलवाना, झूंठे बरतन धुलवाना, घर में पौचा लगवाना, शौचालयों की सफाई करवाना आदि काम करवाना साधारण बात है। जो भी कोई कर्मचारी यह सब नहीं करता है, उस पर इतने अत्याचार किये जाते हैं कि वो मृतक श्री पृथ्वीराज की भांति मौत को गले लगाने को मजबूर हो जाता है। जो रेलकर्मी रेलवे की उत्पादकता बढाने, रेलवे की सुरक्षा और संरक्षा सुनिश्चित करने के लिये जनता से एकत्रित राजस्व से वेतन पाते हैं, उनसे घरेलु कार्य करवाया जाना रेलवे के साथ खुलेआम धोखा और भा. द. संहिता की धारा 409 के तहत आजीवन कारावास से दण्डनीय आपराधिक न्यायभंग (अमानत में खयानत) का अजमानतीय अपराध है। इस मनमानी गुलामी के लागू रहने के लिये रेलवे सुपरवाईजर से लेकर रेलवे बोर्ड के चेयरमैन तक सब के सब दोषी हैं। क्योंकि सभी, हकीकत जानते हुए भी मौन साधे रहते हैं, क्योंकि सबके घरों पर 4 से 10 तक की संख्या में इसी प्रकार से रेलवे के ग्रुप-डी कर्मचारी गुलामों की भांति दिनरात मुफ्त में बेगार करते रहने को विवश हैं। मृतक ने आरोपी के अत्याचारों के बारे में अवश्य ही उच्चाधिकारियों को शिकायत की होगी, लेकिन जब उसे कहीं से न्याय नहीं मिला, तो उसने मजबूरन मौत को गले लगाया होगा। इस प्रकार पहली नजर में आरोपी और रेलवे के सम्बन्धित सभी उच्च अधिकारी मृतक को आत्महत्या करने को विवश करने के लिये सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं। 

आग्रह एवं अपेक्षा : अत: उपरोक्तानुसार सभी को अवगत करवाकर यह संगठन सर्व-सम्बन्धित से मांग करता है कि- 

1. आरोपियों के विरुद्ध भारतीय दण्ड संहिता की धारा-306 एवं 409, अजा एवं अजजा अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा-3 एवं 4 और रेलवे एक्ट की सम्बन्धित धाराओं के तहत तुरन्त पुलिस द्वारा आपराधिक मामला दर्ज किया जावे।

2. आरोपी सहित सभी सम्बन्धित उच्च रेलवे अधिकारियों को तुरन्त निलम्बित किया जावे, जिससे विभागीय दस्तावेजों में वे किसी प्रकार का हस्तक्षेप करने, साक्ष्यों को नष्ट करने और जॉंच को प्रभावित करने की स्थिति में नहीं रहें।

3. इस गम्भीर और एक निर्दोष आदिवासी से जुडे़ आपराधिक मामले की जॉंच केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो या समकक्ष उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच ऐजेंसी से करवाई जावे। क्योंकि इस मामले में अरोपी किशन लाल के अलावा, आरोपी को संरक्षण देने वाले और मृतक को इंसाफ नहीं देकर अत्महत्या करने को मजबूर करने वाले बहुत से गैर-अजा/अजजा के उच्च रेल अधिकारी भी संयुक्त रूप से लिप्त हैं।

4. रेलवे द्वारा सभी आरोपियों को आपराधिक मामले की जॉंच और अदालती प्रक्रिया की प्रतीक्षा किये बिना, तुरन्त मेजर जार्चशीट जारी करके, उन्हें तुरन्त नौकरी से बर्खास्त किया जावे।

5. मामले को नियमों और प्रक्रिया में उलझाने के बजाय, इस मामले को विशेष कोटि का अत्याचार मानते हुए मृतक के परिवार को तत्काल पर्याप्त मुआवजा प्रदान किया जावे और मृतक के परिवार के किसी व्यक्ति को मृतक के स्थान पर अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान की जावे।

आशा है कि की गयी/प्रस्तावित कार्यवाही से निम्नहस्ताक्षरकर्ता को अवगत करवाया जायेगा।

सधन्यवाद। भवदीय

(डॉ. पुरुषोत्तम मीणा)
राष्ट्रीय प्रमुख-हक रक्षक दल
98750-66111


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